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Jaina Literature and Philosophy [18 The following works are in Gujarati :
(a) रास (4) (1) अशोकचन्द्र तथा रोहिणी
V. S. 1774 (2) आनन्दमन्दिर-चन्द केवली
___V.S. 1770. (3) बार व्रत ग्रहण (टीप)
V. S. 1750 (4) रणसिंह राजर्षि ।
(b) देववन्दन (3) (1) गणधरस्तव (2) दिवाळी (3) मौन एकादशी
(c) स्वाध्याय दशविध यतिधर्म नरभवदशदृष्टान्त स्वाध्यायसंग्रह
(d) प्रकीर्षक कल्पव्याख्यान कल्याणमन्दिरस्तोत्र-गीतो चोवीसी तीर्थमाला
v. S. 1755 'पदसंग्रह
पन्दरतिथि-अमावास्या-स्तुति (१६) *शान्तिजिनस्तबनादिसंग्रह ' साधुवन्दना
v. S. 1728 (e) बालावबोध of :(1) अध्यात्मकल्पद्रुम
v.S. 1770 (2) आनन्दघनचोवीसी
V.S. 1769 ) दीपोत्सवीकल्प
V.S. 1763 (4) ) रष्टिविचारस्वाध्याय योगदृष्टिनी सज्झाय (5) नवतत्त्व
v. S. 1739 (6) पाक्षिकसूत्र
V.S. 1773 (7) प्रश्नद्वात्रिंशिकास्तोत्र (8) श्रमणसूत्र
v. S. 1743 (9) साही त्रण सो गाथानुं स्तवन
(10) सीमन्धरजिनस्तवन 1 For published works included herein see Jaina Gurjara Kavio/ Vol. II, pp. 384-336),
24. Inप्राचीनस्तवनरत्नसंग्रह we come across several padas, stutis, stavanas and spådhyāyas,
8 Säntiinastavaps is composed in V.8. 1786..