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The Svetämbara Narratives
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अलेख्ययन विक्रमभूपकालाद
युगी(गां )कवेदेदु १४९४ मितेऽत्र ब। साध्वर्थमावशकसूत्रयुग्मं ।
लध्वीं तथा विंशतिपाटवृत्तिं ॥१४॥ आवश्यकबृहद्वृत्ति कर्णिकाबिकृति तथा । चंद्रप्रभचरित्रं च कथाकोशं तथा पृथु ॥१५॥ 'भृगुकच्छ 'श्रुतकोशे गुरूपदेशादलेखय ग्रंथान् । चतुरोऽप्येतान जैनागमभक्या श्राविका माईः ॥ १६ ॥ इति प्रशस्तिः । सं. १४९४ वर्षे....पुस्तिका लेखिता। 'वृद्धतपागच्छगगनतरणिसुविहितभट्टारकभीसोमसुंदरसूरिपक्षीया। 10 यावद् वाधिर्मही यावद् यावद् वर्षधरा नगाः। याचन्मेरुर्बुधैस्तावत् पुस्तिका वाच्यतामसो ॥१७॥
प्रशस्तिपद्यानि | श्रीः ॥ श्रीः । श्रीः । N. B.- For other details see No. 209.
Cf. चन्द्रप्रभचरित ( IX, 38 ; पूत्करोति ) with नेपधचरित 15 (XX, 145).
चन्द्रप्रभचरित्र
Candraprabhacaritra
1239. No. 213
1886-92. Size.-9 in. by 4g in. Extent.-229-1-13227 folios; II lines to a page; 36 letters to
• a line. Description.- Country paper thin and greyish; Devanagari
characters ; big, clear and good hand-writing; foll. num. bered as usual; fol. I* blank; red chalk used; borders mostly ruled in four lines in black ink; the original first three foll, replaced by the new ones; the corresponding paper being white, and its borders ruled in three lines and edges in one in red ink ; fol. 34 lacking ; so is fol. 41; foll. 16-124 and 176-229 worm-eaten; ' colophon not completed ; so incomplete.
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