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183.] The Svetāmbara Narratives
237 तास सीस कहें रंगें(2)। जां लगें 'मेरु' गिरिंद रे। रवि ससी गगनमंडल ए दीपें । प्रतपो ए जयकारी रे ।। १२ मे. श्री संषेसर'पासपसाई । दीन दिन दोलति थाई रे। दाल उगत्रीसमी राग 'धन्यासी' । गजकुसल गुण गावे रे ॥ १३ मे० चरित्र अने बली भली चोपई । कीधो रास में जोई रे। भधिको ऊछो जे में भाष्यों । मिछा दुक्कड सोई रे ॥ १४ मे० । जे नरनारी रंगें भणसई । तस घरि जयजयकार रे। . रिद्ध वृद्ध सुष संपदा पावें । पुत्र कलत्र परिवारो रे ॥ १५ मे || मनवांछित में संपदा पांमी । स्तवनां एह मुणंदा रे। गजकुशल पंडित कहें मुजर्ने । नित नित सष अ(आ)णंदा रे ॥ १६ ॥ 10 में साधु तणा गुण गाय || इति श्रीगुणकरंडकगुणावलिरास संपूर्णम् ॥ ढाल २९ छ । संध्याइ
सर्वगाथा ५०१६ छे ॥ संवंत १७८७ वर्षे आस बदि १३ दिने बुद्धवासरे । सकलपंडितशिरोमणिपंडितश्री५श्रीदानचंद्रगणिशिष्यपं०दीपचंद्रगणिपंदोलतचंद्रगणिवाचनार्थे श्री
15 Reference. For extracts and additional Mss, see Jaina Gurjara
Kavio (Vol. II, p. 153 & Vol. III, pt. 2, p. 1202 ).
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गुणकरण्डक-गुणावली-रास Gunakarandaka-Gunavali-rasa [गुणावलीचतुष्पदी]
[ Gunavalicatuspadi ] (गुणावलीचोपाइ)
(Guņāvalicopāi )
279. No. 183
1871-72. Size.- 93 in. by 5t in. Extent.-- 26 folios ; 14 lines to a page ; 30 letters to a line. Description.- Country raper somewhat thick, rough, tough and
white ; Jaina Devanagari characters; big, quite legible, uniform and very good hand-writing ; borders ruled in three lines and edges in one in red ink ; red chalk profusely used ; foll. numbered in the right-hand margin; fol. !' blank; condition very good ; complete.
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