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The Svetămbara Narratives very good hand-writing; borders ruled in two lines and edges in one, in red ink; dandas written in red ink; a major portion of the first line, too, in the same ink; foll. numbered in both the margins ; fol, 1 blank; condition
very good ; complete ; 358 verses in all. Age.- Old. Author.- Pupil of Kakka Suri of Upakesa ' gaccha. Is he Kirti
harsa? If so, he is the author of Sanatkumāra-copai com
posed in V. S. 1551. Subject.— A story of Kuladhvajakumāra in Gujarāti. It points 10
out the importance of chastity-good character ( šila ). Begins.- fol. b
॥ ६॥ श्रीमहावीराय नमः श्री श्रीश्री । ५ सोमविमलमूरिगुरुभ्यो नमः।
पास जिणेसर पाय नमी ॥ 'जीराओलि' अवतार। महीयलि महिमा जेहत(न)॥ दीसह अतिहिं उदार ॥१॥ भनि समरू वागेस्वरी ।। सेवक जन साधारि ॥ संपेपिहं गुण सीलना ॥ बोलु शुरुआधारि ॥२॥ जिणसासणि जिण मासीउं ॥ दान सील तप माउ । सहि गुरु श्रीकक(क)सरि भणइ अधिकु सीलप्रमाव ।। ३। । 20 सील ममवंछित फलई ॥ सील दुक्ख निवार। सीलई सुर सेवा । करई ॥ तरीइ सीलप्रभाव ॥४॥ सील सवि संकट टलई ॥ सील दिघ(जहदान। .
.: मान सीलप्रभावई संपजई । करियलि नव य निधान ॥५। वस्तु ।
... 25 सील उत्ख(त)म उत्तम सील सुहगेह ॥ सीलवंत जगि जाणी॥
विघन तास नपि होइ आसइं । जलणि जल होई अवतरई॥ बाघ सिंघ अनइ ()रि नासई । सायर सरि थलबट जिम। ___घर ध्याइ नर सोइ।। श्रीकुलध्वजकुमार जिउं मुख सील जस
होई ॥६॥ etc. 30