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निदेशकीय राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान के भरतपुर शाखा कार्यालय में संगृहित (ग्रंथांक 1 से 4000 तक) संस्कृत-प्राकृत भाषा में लिखित हस्तलिखित ग्रंथों का सूची-पत्र भाग संख्याxxVIII राजस्थान पुरातन ग्रंथमालान्तर्गत प्रकाशित किया जा रहा है। इस सूची-पत्र में 2771 ग्रंथों की विवरणात्मक सूचनाएं प्रस्तुत हैं। इस संग्रह में 14वीं शताब्दी से 20वीं शताब्दी तक के वेद, वेदांग, स्मृतिशास्त्र, इतिहास, पुराण, दर्शन, भक्ति, तंत्र, आगम, मंत्रशास्त्र, काव्य, व्याकरण, आयुर्वेद, ज्योतिष, कर्मकाण्ड आदि विषयों के महत्वपूर्ण ग्रंथों की आवश्यक सूचनाएं सन्निविष्ट हैं।
शाखा कार्यालय भरतपुर की स्थापना राजस्थान सरकार ने भरतपुर जिला के आसपास के क्षेत्रों में विभाग द्वारा कराये गये ग्रंथ सर्वेक्षण के फलस्वरूप प्रभूत मात्रा में हस्तलिखित ग्रंथ मिलने की संभावना को दृष्टिगत रखते हुए उनके संरक्षण एवं शोध को बढ़ावा देने के लिये सन् 1985 में की थी। प्रस्तुत सूची-पत्र में वर्णित अनेक हस्तलिखित ग्रंथों का विवरण राघवन के कैटलागस कैटलोग्राम में भरतपुर राज्य के सिलहखाना संग्रह के नाम से उल्लिखित है। इसी सिलहखाना संग्रह के हस्तलिखित ग्रंथ कालान्तर में राज्य सरकार ने राजकीय सार्वजनिक पुस्तकालय, भरतपुर में स्थानान्तरित कर लिये थे। भरतपुर शाखा की स्थापना के पश्चात् उक्त संग्रह शाखा कार्यालय में हस्तान्तरित कर लिया गया।
यह सूची-पत्र शाखा कार्यालय भरतपुर में पदस्थापित शैक्षिक कार्यकर्ताओं द्वारा तैयार किया गया है। प्रस्तुत सूची-पत्र भाग-XXVII पुरातन ग्रंथमाला के 212वें पुष्प के रूप में विद्वानों के हाथ सौंपते हुए मुझे प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। मुझे आशा है कि शोधार्थीगण एवं विद्वज्जन इस सूची-पत्र का लाभ उठा सकेंगे।
दिनांक : 8 मार्च, 2007 ई.
वीना लाहोटी
आर.ए.एस.
निदेशक राजस्थान प्र
जोधपुर