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जैन सैद्धान्तिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
औपदेशिक नमस्कारादि पर दर्शन समन्वय
11
"
पदार्थ विज्ञान
लोक स्वरूप
"
17
"1
11
"
11
"
17
11
31
7
11
"
8
7
88
8
6
34
30
26 × 12*15 x 42
3,20 27 x 11 व 26 × 12
25 × 12 * 5X34
51
16
39
8
31
10
18
58
26
94
61
73
69
8A
11
26 × 12*16 × 44
49
26 × 11 *17 x 50
26 x 115 x 30
26x11*16 x 53
26 × 11 * 18 × 59
26 x 11*11x35
- 26 x 11*6 x 40
27 x 12* 18 x 53
26×11 *6x33
26x11*14 x 47
26 × 11*7 × 49
24 x 11 * 17 x 50
24 x 11*17 x 50
25 x 16*16 x 45
26 × 11*16 x 55
26×12*5x35
25 × 12*11 × 36
25 x 11*17 x 53
27 x 12*6 x 32
सं. पांच ढालें
"
"
31
11
11
23
"
"
19/20
लगभग पूर्ण 261 गा. ग्रं. 16वीं
328
अपूर्ण
संपूर्ण 273 गा. की
311 गा
ار
"
6 अधिकार
86 इलोक
165
"
"1
373 गा.
9
368 T.
,,281 गा.
277 गा.
अ. 231 गा. तक
"
274 TT.
3931 यंत्र चित्र सह 1880 फलोदी
1919 जैसलमेर
अ. 44 गा. तक
19वीं
सं. 341गा. यंत्र चित्रसह 1923 भुज लीलाधर
सं. 269/402 गा.
19/20 ff
52,43, 25 से 26 ×12 18,65
1925 25 × 11 व 26 x 12 प्र. अपूर्ण83 से 239 गा.
हि.सं.
275 TT.
1993 नागौर जेठमल
18वीं रिण्यापुरि विजयसुंदर
1 8वीं कीर्तिसुन्दर
1820
22
त्रुटक
सं. 274 गा. ग्रं. 4052 1798 बीकानेर
10
1647 नागपुरे धर्म मंदिर
17वीं
1713 जोधपुर रामचंद्र
1746 विल्टाबास
1750 फलोधी राजसुंदर
1774
18वीं संभाव
18वीं
1749 जगतारणी रिणमल्ल
"
11
69
वृतितर्क रहस्य दीपकनाम्नी
1828 डांकाबाडा सुमतिसागर
अति सामान्य
जीर्ण
प्रशारित है