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जैन सैद्धांतिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
62 मार्गणाद्वार पर 8
विभिन्न द्वारों से जीव विभक्तियां
"
11
31
11
अंत समय उपदेश
धार्मिक भेदभांगे थोकड़े
तास्विक
7
"
"
सैद्धान्तिक, उत्तर गुणों के 1 स्थान से 14
"
11
11
औपदेशिक कर्तव्य 15*3
नैतिक शिक्षायें
"
"
11
10
8
11
6.6
9
2
8
3
2
5
17
26
16
17
2
81
22 x 10 * 18 x 54
| ( गुटका नं. 14 ) 16x14
स्थान तक
तारक भेदभांग 27,40 23 x 10 व 23 x 11
बोकड़े
13,2,2,3 21 से 26 x 14 से 12
192625 x 12 व 26 x 12
18
38
8A
46
शील विषय उपदेश 4,5
24 x 12*12 x 35
22x16*21 × 17
22 x 12*16 x 35
26 × 12*13 × 38
26x12 व 24 x 11
25 x 12 तालिकायें
तालिका
24 x 11* तालिका
25 x 11**
25 x 1* विभिन्न
11
21 × 15 * 13 × 27
25 x 12* 10 × 28
16 x 13 तालिकायें
26 × 11 * 28 x 16
22 × 11 * 16 × 32
25 x 11 * 15 x 50
सं. 84 छंद
सं. 183 मा.
सं.
सं.
सं.
अ.
सं. 62 द्वार
"
15
"
"
11
सं.
"3
11
11
प्र. ( पन्ने 138 से 159,
171-3)
प्रतिपूर्ण
"
9
"
31
"
18at.
19aff.
20at.
64/63
19वीं
66 पद (प.42 से 46 ) 1827
204f.
"
1885
विभिन्न
1807
17
1800 x न्याय विजयजी
1931 फलोदी म. विद्यालाल
19at.
"
1947
प्रथम अपूर्ण द्वितीय प्रति. 20वीं
त्रुटक
24 से 27x10 से 12
24 x 26 x 11 तालिकायें
18/19वीं
24 × 10 व 25 x 11
1 ढाल अंत में स्तवनादि 20 / 19वीं
सं. 7*,525 × 11*16 / 7 x 46 | 11ढाल ( 96गा ) + स्तवन 19वीं
1800
10
1661 जालौर चांपा
1780 सानंद प्रताप विजय
18 वीं साध्वी रूपा
18/20वीं
19वीं
1950 जालोर डालचंद
"
61
1783 उदयपुर कृति
11
अंत में धर्म सीकृत 125 सीख
अंत में पत्र लेखन प्रारूप
अंत में कर्म समाव