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जैन सैद्धांतिक, तात्त्विक, दार्शनिक, आचार व न्याय ग्रंथ
43
78
8A
कर्मसिद्धान्त
26x11*18x59
सं. ग्रंथ एक से छ: तक
16व
श्रियष्ट प्रतिहार्य
24x11*17x61
अ. 30 गा. तक हो है । 17वीं
कर्मणां विपाकोनुभव
25x11*13x
19वीं
26x11*तालिका
प्रतिपूर्ण केवल छठेकर्म ग्रं. के 19वीं
26x12* ,,
, केवल पांचवें व छठे के 19वीं
जड़ चेतन विवाद
24 x 11*16x43
1885 पाली
कर्मवाद पर उपदेश-7*
25x10*13x33
|,
36 पद
1925 पारलाउ भीमराज
___"
,
17*
15x11*16x39
19वीं
17x16*20x25
,, 21 गा. (गु. पन्ना 43)
1550 x विनयप्रभ
औपदेशिक
25x13*18x36
,52 अनुच्छेद
1944 समबड़ो अचलचंद
क्रिया के प्रकार
24x12*19x60
20वीं
33x 22*60x32
सं. 32 गाथा
1926
क्रोध पर शिक्षा - 1 विभिन्न भव अवधि 2
26x13*18x48
, 24 गाथा
1895, स्तंभनतीर्थ, विवेकसा र
10*
26x11*5x42
18वीं श्रीमलवर्षे
49
44 x 12*21x49
1947 जालोर पुनमचंद
आध्यात्मिक+
धामिक ब्रह्मचर्य उपदेश
124x11*10x33 | सं.26 गाथा
18वीं
हर्षकीर्ति शिष्य
औपदेशिक
25x11*16x50
त्रुटक
19वीं
1838 की रचना
15x10*10x16
9 पद
(अथवा कवि केशवदास)
आवागमन भेद प्रकार 21
27x12 तालिकायें | पूर्ण
1871
25x12
,
20वीं
23x12*22x56 ..
20वीं
27x12 तालिकायें
,, चारों गतियों के
1849 जोधपुर सुखराम
गर्भदुःख व्याख्यान
24x ||*14x38
सं ग्रं.22
19वी
-प्रमाद त्याग पर 3
24x11*13x37
, 44 गा.
1911, सोवनगढ़, धर्मा