________________
121
32
1
1-2 बा. 70-71
सि. 104
3
4
5
6
7
8-11
12
13
14
15
16
17
18
19
20
21
22-23
24-25
26
27
30-31
2
32
33
B-338
बा. 72
fe. 890
fær. 105
B-594,1009 1099,170
B-480
सि. 106
चौ. 27
चौ. 28
B-408
28-29 B-421,762.
B-399
सि. 890
चौ. 29
बा. 100
चौ. 30
B-153,603
TT 19/4.29/30
B-701/A
B-212
बा-93,94
सं. बा
चो. 31
"
"
बोलपटुत्व 2. Atthāpubola
महादण्डकानुसार
Alpabahutva
अठारह पापस्थान चौपई | Atharahapāpasthāna आशकरणजी
"
3
अतिचार चौपई
आगमसार
"
11
"
अष्ट (छ) प्राभृत
आगम अट्ठोत्तरी
आगम आलापक
आगम छत्तीसी
"
अध्यात्म गीता प्रति
अध्यात्म गीतादि (पांचसूत्र )
अनेकान्त जयपताका
अन्योक्ति बावनी
अस्वाध्याय व रात्रि भोजन
सज्झाय
अष्टप्रवचनमाज्ञाय
"
11
17
आचारोपदेश
"
सज्झाय
भास
"
"
2 प्रति
2 प्रति
दो प्र.
दो प्र.
"
"
3A
"
Aticara Caupal
Adhyatma Gita
13
Acāropadesa
5158яyfaut Athakarma-KI-158
Prakrtiyath
"
31
"
Anekāntajaipatākā
Anycktibavanl
21
"
"
"
Caupal Bhāsa ब्रह्मकृवि
Sajjhāya यशोविजयजी
"
Asvādhāya &
Rätribhojana Astapravacan Mata देवचंदजी Sajjbaya
Astaprabhṛta
Agama Atthottarl
Agama Alpaka
Agama Chattis
Agamasara
"
4
"
ग
"
प
"
चारित्रसुंदर
"
देवचंद्र / ज्ञानसार मू + बा (प.ग )
देवनंद्रज व अन्य मू (प)
हरिभद्र
विनयकवि (सुन्दर)
रत्नसिंह गणिशिष्य
"
5
मू + ट ( प.ग )
कुन्दकुन्दाचार्य - मू+अ (पग)
मू
भू (प)
भू ( प )
उद्धरण व संकलन मू (ग)
श्री सारमुनि
मू ( प )
देवचंदजी
मू (ग)
मूट (प.ग )
ग.
"
भाग
11
मूट (प.ग)
11
"
मा.
""
"
""
11
मा.
सं.
मा.
1257
प्रा. स
प्रा.म
मा.
"
"
"
सं.मा
मा.
"
11