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विभाग-१ आ (iv)--आवश्यक सूत्र व साहित्य
7
8
|
8A
9
10
पगाम सज्झाय
8,8,13/
25से 26x11से12
| संपूर्ण
19वीं
सामान्य
.
साधु क्रिया सूत्र 22,29,8/ 25 x 11से13
19/20वीं , 16,10/25से 26x12
20वीं 17 | 8,6 24से25x11से12
19/20वीं श्रावक प्रतिक्रमण | 6 25 x 11*5x37
,, 50 गाथा
1736 जयपुर भाणविजय ,, आवश्यक क्रिया 45 | 25x12*17x38 ,, ग्रंथाग्र 2700 1704, जैसलमेर
64,34, 24से26x12से13 ,, अन्तिम अपूर्ण | 20वीं
46,16/ |97 26x12*15x33 | अपूर्ण, बीच के पन्ने 2से | ,, ..
98 तक 39,8,13 20से 26 x 10से 13 प्रथम दो संपूर्ण शेष अपूर्ण 19/20वीं
| 10,9,6] श्रावक प्रतिक्रमण 3 - 22x10*13x26 | संपूर्ण 50 गाथाग्र 19वीं
सामान्य
सामान्य
आवश्यक सूत्र पर 49
26x11*15x50
अपूर्ण, पीटिका व 65
गाथा कम | संपूर्ण ग्रंथान 4500
1527, श्री पतन, रापकीका 16वीं
अपरनाम आवश्यक
श्रुतस्कन्ध अभयदेव शिष्य
, पर टिप्पणी 94
26 x 11*15 x 52
26 x 11*15 x 60
,
,,2700
16वीं
वृदारुवृति
श्रावक आवश्यक.54
व्याख्या "
65
25x10*15x47 | अपूर्ण-पहिले 4 पाने कम| 17वीं
साधु पाक्षिक
अति चार
26x11*6x37
| सं.
1670 की प्रति पर से
1727, जोधपुर चरित्र सागर 18वीं
26x11*5x50
1800 भीनमाल कीति विजय
27x12*14x43 37,35| 23से25 x 7से11
19वीं
18
26x11*7x43
,
1226x12*10 x 32 ,
9,12 | 25x11 व 23x11
1811-12
10,7,6, 24से 26 x 11से12 7,9,100
19/20वीं
,
1025x ||*15x38
1879 x उत्तम विजय
श्रावक पाक्षिक आलोचना पाठ
5 .
26 x 11*15x47
1676, गोआणा, मु.रयणचंद्र
प्रचलित से भिन्न