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568
Sr.
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Language
| 0
78 D Skt. 21-25
0
3013/ 18208 (c) प्रथमजिनस्तवनम्
0
लघराज
3014/ 18652 3015/ 18639
प्रबोधमाला प्रभंजनानी सज्झाय
D Gui! | D Gujl
00
2 2
3016| 18893 3017| 18678
0 0 0 0
Guil
.1
3018| 15852 3019 16034
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प्रभाती छंद प्रभाती प्रतिक्रमण, देव - वांदवानी विधि प्रभातीयु (जिनराजनुं) रूपचंद प्रभाती सज्झाय । गुणसागर स्तवनमाला
विनयविजय
गंगदास आदि | प्रभाते पडिकमणा विधि प्रभुजीना पात्रीस वचनातिशय टबासहित प्रवचनसार
अमृतसूरि
3020| 19388 3021 18569
0 0 0
| D| Guj. 1
Skt. 1
3022 16658
PD PK
3023| 16851
| प्रवचनसारोद्धार
0 0
3024/ 18732
PDPkt. 7
3025/ 18837
0 0
3026| 18848
नेमिचन्द्र
PD Pkt.
70-77
3027 16883
प्रवचनसारोद्धारसूत्र
0 0
53-156