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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची मु. ज्ञानसार, पुहि., पद्य, आदि: साधो भाई ऐसा योग; अंति: निहचै थै निरबंधा, गाथा-३. ३१. पे. नाम, औपदेशिक पद, प. ६आ-७अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: औधू कैसी कुटंब सगाई; अंति: तुझ सूझै ग्यानसार पराइ, गाथा-४. ३२. पे. नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. ७अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: माई रे मेरे कंत; अंति: ग्यानसार रस खाणी, गाथा-३. ३३. पे. नाम, औपदेशिक पद, पृ. ७अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहि., पद्य, आदि: ओधू सुमति सुहागन; अंति: जल मय जल व्यापारा, गाथा-३. ३४. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ७अ-७आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: साधो भाई जग करता कहि; अंति: ग्यानसार०जीत निसान घुरानै, गाथा-६. ३५. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ७आ, संपूर्ण..
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: साधो भाइ जब हम भए; अंति: पद कैसे हूं नहि पावै, गाथा-६. ३६. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ७आ-८आ, संपूर्ण.
म. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: साधो भाई निहचै खेल; अंति: ज्ञानसार० भवदधि पारा, गाथा-१४. ३७. पे. नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. ८आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: औधु घरणी विण घर कैसो; अंति: यानतै अपने आतम कलीये, गाथा-३. ३८. पे. नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. ८आ-९अ, संपूर्ण.
म. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: औधू हम विन जग अंधियारा है; अंति: ग्यान०परमारथ पथ गावे, गाथा-४. ३९. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ९अ, संपूर्ण..
म. ज्ञानसार, पुहि., पद्य, आदि: नाथ विचारो आप विचारी; अंति: ल्यायौ लगिय न वारी, गाथा-४. ४०. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ९अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: साधौ भाइ आतम भाव; अंति: ग्यानसार पद पेखा, गाथा-२. ४१. पे. नाम, औपदेशिक पद, पृ. ९अ-९आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहि., पद्य, आदि: साधो भाई आतम खेल; अंति: ग्यानसार० यही तमासा, गाथा-५. ४२. पे. नाम, औपदेशिक पद, पृ. ९आ-१०अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहि., पद्य, आदि: पिया विन खरी दुहेली हो; अंति: फुल सुवास चमेली हो, गाथा-४. ४३. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १०अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहि., पद्य, आदि: अनुभौ तुमारी हासी मीत; अंति: सहिजै समझै जासी, गाथा-३. ४४. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १०अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: क्युं आज अचानक आए; अंति: पावौ आत्म परमात्मरूप, गाथा-३. ४५. पे. नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. १०अ-१०आ, संपूर्ण.
मु.ज्ञानसार, मा.गु., पद्य, आदि: मनडानी अमै केनै जो; अंति: जोतौ जे ख्याल खेलातौ. गाथा-५. ४६. पे. नाम, आत्मस्वरुप पद, पृ.१०आ, संपूर्ण.
आत्मस्वरूप पद, म. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: जाग रे सब रैन विहानी; अंति: ग्यान० निज राजधानी, गाथा-४. ४७. पे. नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. १०आ-११अ, संपूर्ण.
म. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: यूंही जनम गमायो भेख; अंति: ग्यानको मरम न पायो, गाथा-४. ४८. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ११अ, संपूर्ण.
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: भाई मति खेलै तू माया; अंति: ख्यान० निज ख्यालसूं, गाथा-२. ४९. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ११अ-११आ, संपूर्ण..
मु. ज्ञानसार, पुहिं., पद्य, आदि: आप मतीयै भला मूढ मतीयै; अंति: सार पद सही होवे, गाथा-१२. ५०. पे. नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. ११आ-१२अ, संपूर्ण.
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