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श्रद्धेय स्व. प्रो. डॉ. अमृतलालजी गांधी
प्रो. अमृतलालजी गांधी निःस्वार्थ सेवा की साकार मूर्ति और करुणा के सागर थे, सेवा पारायण व धर्ममूर्ति अर्धांगिनी श्रीमती छगनकंवरदेवी के समर्पण भरे साथ सहकार से डॉ. अमृतलालजी गांधी ने अपनी महत्तम जीवन की ऊर्जा और आय को जरूरतमंद लोगों की सेवा में अर्पित कर दी। सारी सुख-सुविधाओं के होते हुए भी उन्होंने सरल व सादगीपूर्ण जीवन
व्यतीत किया। यही सरल जीवन उनका सेवा मार्ग बन गया। सारी धनजन्म : 31.3.1928| | सम्पदा उनके लिए भोग की वस्तु नहीं होकर सेवा का साधन बन गई। अवसान : 23.4.2007
बचपन में ही पिता की छत्रछाया गंवा चुके अमृतलालजी ने कठिन
परिश्रम एवं सूझबूझ के बलबूते पर अपने जीवन की ऊँचाईयों को हासिल किया। अपने विद्यार्थी जीवन में डॉ. गांधी ने स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया। आप १९५५ में श्री महाराज कुमार कॉलेज सिरोही में स्थायी रूप से राजनीति विभाग में प्रवक्ता बन गये। इसी सेवा के क्रम में जोधपुर विश्व विद्यालय में प्रोफेसर एवं विविध दायित्व निर्वाहक के रूप में ख्याति प्राप्त कर आपने ३० जून १९८८ को अवकाश ग्रहण किया।
सिरोही में आप आबू, देलवाड़ा आदि विश्व विख्यात मन्दिरों के ट्रस्ट मण्डल व श्री जैन संघ की कार्यकारिणी के १० वर्ष तक निरन्तर सदस्य रहे । आप नाकोड़ा जैन मन्दिर ट्रस्ट मण्डल के भी सदस्य रहे । आप १९६१ से १९६५ तक जोधपुर जिला भारत सेवक समाज के संगठन मंत्री व क्षेत्रीय समिति के कोषाध्यक्ष रहे। १९६८ से १९७३ तक आपने सरदार उच्च माध्यमिक विद्यालय के मानद् मंत्री पद पर उदात्त सेवा भावना से सराहनीय कार्य किया। डॉ. गांधी ने १९७४ से १९७६ तक जोधपुर जिला भगवान महावीर २५०० वें निर्वाण महोत्सव समिति के मंत्री पद पर भी उल्लेखनीय कार्य किया । आपने १९७६ से १९८१ तक श्री भैरूबाग जैन तीर्थ के अध्यक्ष पद पर अपनी महत्त्वपूर्ण सेवाएँ प्रदान की। आपने १९६९ में श्री कापरडा जैन तीर्थ स्वर्ण जयंति समिति में भी अपनी सेवाएँ प्रदान की। आप महावीर इन्टरनेशनल चैरीटेबल ट्रस्ट के करीब ५ वर्ष तक मानमंत्री रहे व महावीर धर्मशाला का निर्माण कार्य आपके कुशल देख-रेख में सम्पन्न हुआ, जिसका उद्घाटन २८-१०-१९८४ को राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवचरण माथुरजी द्वारा किया गया था। आप सिरोही समाज, जोधपुर के संरक्षक एवं संस्थापक अध्यक्ष के रूप में सिरोही जिले के विकास हेतु सदैव प्रयत्नशील रहे। आप १९७५ से श्री वर्धमान जैन विद्यालय, ओसियां के भी शैक्षणिक परामर्शदाता थे।
३१-३-१९२८ के दिन जन्म लेकर आजीवन सेवा की प्रतिमूर्ति बने रह कर डॉ. अमृतलालजी गांधी ने सेवाकार्य करते-करते ही २३-४-२००७ के दिन दहोत्सर्ग कर दिया । आज डॉ. अमृतलालजी गांधी हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके विचार, कार्य, सैद्धान्तिक प्रतिबद्धता, मानव मात्र की सेवा एवं सरल प्रकृति चिरस्मरणीय रहेगी।
उनके सुपुत्ररत्न श्री बसंत व श्री सुरेश गांधी ने भी अपने पिता के सेवाधर्म के आदर्शों को और ऊँचाई प्रदान की है। इन्होंने अपने पिताश्री की पुण्य स्मृति में अपनी माताजी श्रीमति छगनकंवर देवी की ईच्छा को साकार करने हेतु जोधपुर उम्मेद हेरीटेज में श्री अमीझरा पार्श्वनाथ जिनालय एवं उपाश्रय का निर्माण भी कराया है।
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