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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७३ हस्तलिखित जैन साहित्य १.१.१९ ५.पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ३अ, संपूर्ण. क. सूरदास, पुहि., पद्य, आदि: जीवन जैसे प्रति भजन; अंति: सूरदास० कुटुंब समेत, पद-३. ६. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३अ, संपूर्ण. पुहिं., पद्य, आदि: लगा इसकादा तीर बै; अंति: को जाणै परपीड बै, पद-३. ७. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३अ, संपूर्ण. रा., पद्य, आदि: मारो भर्म रवी लूच्यो; अंति: प्राण दुहेली बै, पद-२. ८. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ३अ, संपूर्ण. पुहिं., पद्य, आदि: कैसे सोउ नीद साइ; अंति: एही वखत सुहाग दाबै, पद-३. ९. पे. नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. ३अ, संपूर्ण. कबीर, रा., पद्य, आदि: थारी काया मै गुलजार; अंति: कबीर० आवागमण निवार, पद-४. १०. पे. नाम. श्रीकृष्णभक्ति पद, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण. कृष्णभक्ति पद, पुहिं., पद्य, आदि: अब तो श्याम सोचन दे; अंति: वण्यौ पातन की छाय, पद-३. ११. पे. नाम. श्रीकृष्ण होली पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.. कृष्ण होली पद, घन सखी, पुहि., पद्य, आदि: एक समै घनश्याम के; अंति: घनसखी० भए परम आनंदी, पद-२. १२. पे. नाम, आध्यात्मिक होलीपद, पृ. ३आ, संपूर्ण. आध्यात्मिक होरीपद, घन सखी, पुहिं., पद्य, आदि: जोरी से खेलै होरी रे; अंति: दोह करत करजोरी रे, पद-३. १३. पे. नाम. रतनसाधुगुरु भक्तिपद, पृ. ३आ, संपूर्ण. रतनगुरुभक्ति पद, मु. शंभुनाथ, रा., पद्य, आदि: उवारी जी वारी जी था; अंति: संभुनाथ० गति भारी हो, पद-४. १४. पे. नाम, कृष्णभक्ति पद, पृ. ३आ, संपूर्ण. किसनदास, पुहिं., पद्य, आदि: कीसन दर्स से अटकी हे; अंति: कीसन० लाज सब पटकी ए, पद-३. १५. पे. नाम. शांतिजिन पद, पृ. ३आ, संपूर्ण. मु. हर्षचंद, पुहिं., पद्य, आदि: विश्वसेन अचलाजू कै; अंति: हरखचंद०मीटावो भरम की, पद-४. १६. पे. नाम, आदिजिन पद, पृ. ३आ, संपूर्ण. मु. राजरतन, पुहि., पद्य, आदि: दीनानाथ आदनाथ दीन कै; अंति: राजरतन० रीछपाल हो, पद-३. १७. पे. नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. ३आ, संपूर्ण. पुहिं., पद्य, आदि: ले गागर सागर पै निकस; अंति: चरणा लपटाणी रे बाला, पद-३. १८. पे. नाम. समकितबोध पद, पृ. ३आ, संपूर्ण. सम्यक्त्वबोध पद, पहिं., पद्य, आदि: अब मेरे समकित समण आए; अंति: जिन निरब घर पायो, पद-४. १९. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. ३आ, संपूर्ण. पुहिं., पद्य, आदि: कोटक वेर कही रै मनो; अंति: गुरुसेवा आतो सून भई, पद-४. २०. पे. नाम, श्रीकृष्ण भक्तिपद, पृ. ३आ, संपूर्ण. कृष्णभक्ति पद, पुहिं., पद्य, आदि: पोथी तो खोल पांडै; अंति: सखीनै दर्शण दीजो, पद-३. २१. पे. नाम. साधू आचार पद, पृ. ४अ, संपूर्ण. साधु आचार पद, मु. शंभुनाथ, पुहि., पद्य, आदि: जाजा द्यो रे सहीया; अंति: सींभू० हे चरण मे नीत, पद-५. २२. पे. नाम. श्रीकृष्ण भक्तिपद, पृ. ४अ, संपूर्ण. कृष्णभक्ति पद, मीराबाई, पुहिं., पद्य, आदि: कोई दिन याद करो रे; अंति: मीरा० थाकी सकामित, पद-४. २३. पे. नाम. श्रीरामभक्ति पद, पृ. ४अ, संपूर्ण. रामभक्ति पद, सरदासजी, पुहि., पद्य, आदि: संतो द्यो रे गंडकरै; अंति: सूरदास० भई रघुवीर की, पद-३. २४. पे. नाम, श्रीकृष्णभक्ति पद, पृ. ४अ, संपूर्ण. कृष्णभक्ति पद, चंदसखी, पुहि., पद्य, आदि: श्रीव्रजराज बुलावे; अंति: चंद०प्रीत घुलावे हैं, पद-२. For Private and Personal Use Only
SR No.018065
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 19
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2016
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size27 MB
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