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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुक्रमणिका मंगलकामना ... प्रकाशकीय ......... .............................॥ प्राक्क थन ................................................................ अनुक्रमणिका......... .........................iv प्रस्तुत सूची में प्रयुक्त संक्षेप व संकेत ................... ....... v-vi 1 सूचाकरण सहयाग साजन्य एव सादर ग्रंथ समर्पण ....................................vii-viii हस्तप्रत सूची... ....................... ........१-४८० परिशिष्ट : कृति परिवार अनुसार प्रत-पेटाकृति अनुक्रम संख्या.......................४८१-५९६ १. संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से कृति परिवार सह प्रत-पेटाकति क्रमांक सची परिशिष्ट - १... ............४८१-५३८ २. देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से कृति परिवार सह प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २ ..... ............... ५३९-५९६ इस सूचीपत्र में हस्तप्रत, कृति व विद्वान/व्यक्ति संबंधी जितनी भी सूचनाएँ समाविष्ट की गई हैं, उन सबका विस्तृत विवरण व टाइप सेटिंग संबंधी सूचनाएँ भाग ७ के पृष्ठ vi एवं परिशिष्ट परिचय संबंधी सूचनाएँ भाग ७ के पृष्ठ ४५४ पर हैं. कृपया वहाँ पर देख लें. प्रस्तुत खंड १७ में निम्नलिखित संख्या में सूचनाओं का संग्रह है. 0 प्रत क्रमांक - ६८४५२ से ७२८७० इस सूचीपत्र में मात्र जैन कृतियों वाली प्रतों का ही समावेश किए जाने के कारण वास्तविक रूप से ३३५४ प्रतों की सूचनाओं का समावेश इस खंड में हुआ है. ० समाविष्ट प्रतों में कुल ३२६४ कृति परिवारों का समावेश हुआ है. ० इन परिवारों की कुल ३९९५ कृतियों का इस सूची में समावेश हुआ है. 0 सूची में उपरोक्त कृतियाँ कुल ६५०५ बार आई हैं. For Private and Personal Use Only
SR No.018063
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 17
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2016
Total Pages612
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size90 MB
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