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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ५४. पे. नाम. औपदेशिक पद, प्र. १३आ, संपूर्ण.
पंडित. टोडरमल, पुहिं., पद्य, आदि: नीर बिन कूप कहा तेज; अंति: टोडर० भावे कहो पारसी, दोहा-३. ५५. पे. नाम. औपदेशिक दोहे- पाश्चात्य संस्कृति परिहार, पृ. १३आ, संपूर्ण.
औपदेशिक दोहा-पाश्चात्य संस्कृति परिहार, मु. गिरधर, पुहि.,रा., पद्य, आदि: कबहु मन रंग तरंग चढे; अंति:
गिरधर० सगो सगा की जड, दोहा-९. ५६. पे. नाम. प्रास्ताविक कवित्त संग्रह, पृ. १३आ-१४अ, संपूर्ण.
औपदेशिक कवित्त संग्रह, पुहि.,सं., पद्य, आदि: पत्तनप्रदेशे कुमार; अंति: लटपट्टा अटपट्टा है, दोहा-३, (वि. किंचित
गद्यांश भी है.) ५७. पे. नाम. प्रास्ताविक कवित्त संग्रह, पृ. १४अ-१५आ, संपूर्ण..
औपदेशिक कवित्त संग्रह-विभिन्न विषयक, पुहिं., पद्य, आदि: सीख्यो सब काम धन धाम; अंति: ऐसे डीलन में
आयके, गाथा-४८, (वि. कवि गंग, टोडर, कवि शिवनाथ, मोतीराम, रघुवीर आदि विद्वानों की रचनाओं का संकलन
है.)
५८. पे. नाम. आलसी गजल, पृ. १५आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद-प्रमाद परिहार, पुहिं., पद्य, आदि: दुनिया में हाथ पैर; अंति: रंज उठाना नहीं अच्छा, गाथा-४. ५९.पे. नाम. औपदेशिक कवित्त संग्रह, पृ. १५आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद-भारत दर्दशा, पुहिं., पद्य, आदि: लूटत है दिन रैन सभी; अंति: रहै न कोई रूठा, गाथा-२९. ६०.पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १५आ, संपूर्ण.
मु. बाल मुनि, पुहिं., पद्य, आदि: जियरा मोरा जान काहे; अंति: बाल० समझावन को आया., दोहा-३. ६१. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १५आ, संपूर्ण.
औपदेशिक पद-संसार मिथ्या, पं. गुणपद्म, पुहिं., पद्य, आदि: कोई कर्म के भेद को; अंति: दुनिया को झूठी जाने,
पद-२. ६२. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १५आ, संपूर्ण.
मु. ज्ञान, मा.गु., पद्य, आदि: रेनर जन्म अमोलक पाय; अंति: झे ज्ञान गुरु बतलाया, गाथा-५. ६३. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १५आ, संपूर्ण.
सूरदास, पुहि., पद्य, आदि: अपुन यो आपुते; अंति: वटा कहि कोने जकर्यो, दोहा-३. ६४. पे. नाम. श्रीकृष्ण पद, पृ. १५आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: मनमोहन छैल विहारी; अंति: साथी स्वारथिआ संसार, पद-३. ६५. पे. नाम. राम स्तुति, पृ. १५आ-१६अ, संपूर्ण.
गोस्वामी तुलसीदास, हिं., पद्य, आदि: श्री रामचंद्र कृपालु; अंति: कामादि खलदलगंजनं, पद-५. ६६. पे. नाम. भरत विलाप, पृ. १६अ, संपूर्ण.
गोस्वामी तुलसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: हमारी मात की करनी; अंति: यही तुलसी विचारी है, दोहा-४. ६७. पे. नाम. भारत दुर्दशा, पृ. १६अ-१६आ, संपूर्ण.
मोहन, पुहिं., पद्य, आदि: पाप में धन का लगाना; अंति: मोहन कंगाल से धनी हो, दोहा-३८. ६८. पे. नाम. औपदेशिक सज्झाय, पृ. १६आ, संपूर्ण..
मु. हंसराज, पुहिं., पद्य, आदि: जैसे मिले दूध जल यार; अंति: नरनार लुटे घरना घरना, दोहा-७. ६९. पे. नाम. औपदेशिक कवित्त संग्रह, पृ. १६आ, संपूर्ण.
औपदेशिक कवित्त संग्रह- देशभक्ति, राधेश्याम, पुहिं., पद्य, आदि: उसी का जीवन है धन्य; अंति: को जो टेलवा
हुआ है, गाथा-५०. ७०. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १६आ, संपूर्ण.
औपदेशिक दोहा संग्रह, पुहिं., पद्य, आदि: नवजुवानो तुम कदम आगे; अंति: में आप लाना सीख लो, दोहा-१.
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