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मु. सायब, पुहिं, पद्य, आदि जिनछवि वारी वारी जाव अंतिः आयो सायब सीस नमावा, गाथा- २
१००. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. ३६अ - ३६आ, संपूर्ण.
हिं., पद्य, आदि: अरज सुणो मोरी अरज, अंति: जामण मरण मीटाइयो, गाथा-२.
१०१. पे. नाम. पार्श्वजिन पद - गोडीजी, पृ. ३६आ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि: रंगरली जी मारे रंगरल, अंति: सिवसुख आस्या सफल फली, गाथा-४. १०२. पे नाम औपदेशिक पद, प्र. ३६-३७अ संपूर्ण
कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
मु. ज्ञान, पुहिं., पद्य, आदिः यो तो भव यूं ही दीनो, अंतिः खोयो म्यान महानग जोय, गाथा-२.
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१०३. पे. नाम. साधारणजिन पद, पृ. ३७अ, संपूर्ण.
मु. जगतराम, रा., पद्य, आदि: मेतो धारी लारा लागी अंतिः जगतराम० राजमती बडभागी, गाथा-४,
१०४. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ३७अ, संपूर्ण.
आदिजिन पद-धुलेवामंडन, मु. चतुरकुशल, मा.गु, पद्य, आदि: मुजरो छै जी मां के अंति: चतुरकु०प्रभु सजरो छै,
गाथा-३.
१०५. पे. नाम. आदिजिन पद, पृ. ३७आ, संपूर्ण.
मु. सेवक, पुहिं., पद्य, आदि: अरज सुणौ मोरी अरज; अंति: मोही आधार एक रीषभतणो, गाथा-२.
१०६. पे नाम, नेमिजिन पद, पृ. ३७आ, संपूर्ण,
मा.गु., पद्य, आदि: अजरो छै जी मां कै; अंति: गढ गीरनार सजरो छै, गाथा - ३.
१०७. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ३७-३८अ संपूर्ण
मु. लाल, पुहिं., पद्य, आदि: वीसरमल जायलो रे तेरी अंति: लाल कहै० छै रे भोरा, गाथा-२.
१०८. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३८अ संपूर्ण.
मु. लालचंद ऋषि, पुहिं, पद्म, आदि जनम सुधारण आवो जी अंति: लालचंद जस गावो, गाथा-३. १०९. पे. नाम. पार्श्वजिन जन्मोत्सव पद, पृ. ३८अ - ३८आ, संपूर्ण.
मु. हीरा ऋषि, पुहिं., पद्य, आदि: जनम उछव कुं आयो जी; अंति: हीरा के मन भायो जी, गाथा- ३. ११०. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३८आ, संपूर्ण.
मु. सुखरंग, मा.गु, पद्य, आदि पूजोनी प्यारा हो जी अंतिः सेवा शुभ सुखरंग भौनी, गाथा - ३. १११. पे नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३८-३९अ, संपूर्ण.
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पार्श्वजिन स्तवन, मु. पुण्य, रा., पद्य, आदि: जेन बिना नही जेणा; अंतिः पुण्य० करे सुख लेणा, गाथा- ६. ११२. पे नाम औपदेशिक पद, पृ. ३९अ संपूर्ण.
४ कषाय पद, मु. चिदानंद, पुहिं., पद्य, आदि: जैन धर्म नहीं कीधा, अंति: चिदानंद० करमरस खीता, गाथा-४. ११३. पे नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३९अ ३९आ, संपूर्ण.
मु. वृद्धिकुशल, रा. पद्य, आदि: तेवीसमा जिनराज जोडी अंतिः वृद्धकु०तुम्हे दीदार, गाथा-३.
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११४. पे. नाम समेतशिखरतीर्थ स्तवन, पृ. ३९ आ-४० अ, संपूर्ण.
सम्मेतशिखरतीर्थं स्तवन, मु. आलमचंद, पुहि., पद्य वि. १८२०, आदि समेतशिखर चल रे जी का अंति: आलमचंद ० परभव सफल किया, गाथा- ७.
११५. पे. नाम. पार्श्वजिन पद - गोडीजी, पृ. ४०अ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन स्तवन- गोडीजी, मु. रूपचंद, पुहिं., पद्य, आदिः कृपा करो न गोडी पास; अंति: रूपचंद पदवी पाई, गाथा-५. ११६. पे. नाम. श्रेणिकराजा गीत, पृ. ४०-४०आ, संपूर्ण.
उपा. समयसुंदर गणि, मा.गु., पद्य, आदि: सामी नरक पडतौ राखलै, अंति: समयसुंदर गुण गाय रे, गाथा- ३.
११७. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ४०-४१ अ, संपूर्ण.
चेतन, पुहिं., पद्य, आदि: कौन करे जंजाल जग मै; अंति: यावौ जिम पावौ भव पार, गाथा- ७. ११८. पे नाम. साधारणजिन पद, पृ. ४९अ, संपूर्ण.
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