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अनुक्रमणिका
मंगलकामना .. प्रकाशकीय .....
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प्राक्क
थन .......................................................................
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अनुक्रमणिका .................
...........................................................................IV प्रस्तुत सूची में प्रयुक्त संक्षेप व संकेत ..
....... v-vi हस्तप्रत सूचीकरण सहयोग सौजन्य एवं सादर ग्रंथ समर्पण ................................vii-viii हस्तप्रत सूची
........१-४८६ परिशिष्ट : कृति परिवार अनुसार प्रत-पेटाकृति अनुक्रम संख्या.......................४८७-५९६ १. संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - १................
............४८७-५३८ २. देशी भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट - २ .........
...............५३९-५९६
इस सूचीपत्र में हस्तप्रत, कृति व विद्वान/व्यक्ति संबंधी जितनी भी सूचनाएँ समाविष्ट की गई हैं, उन सबका विस्तृत विवरण व टाइप सेटिंग संबंधी सूचनाएँ भाग ७ के पृष्ठ vi एवं परिशिष्ट परिचय संबंधी सूचनाएँ भाग ७ के पृष्ठ ४५४ पर हैं. कृपया वहाँ पर देख लें.
प्रस्तुत खंड १४ में निम्नलिखित संख्या में सूचनाओं का संग्रह है. ० प्रत क्रमांक - ५५६०१ से ५९२३५ ० इस सूचीपत्र में मात्र जैन कृतियों वाली प्रतों का ही समावेश किए जाने के कारण वास्तविक रूप से २८१५
प्रतों की सूचनाओं का समावेश इस खंड में हुआ है.. ० समाविष्ट प्रतों में कुल २७३६ कृति परिवारों का समावेश हुआ है. ० इन परिवारों की कुल ३६०४ कृतियों का इस सूची में समावेश हुआ है. ० सूची में उपरोक्त कृतियों कुल ६६१० बार आई हैं.
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