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कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची
१०. पे. नाम औपदेशिक पद, पू. २आ, संपूर्ण.
आव. बनारसीदास, पुहिं, पद्य, वि. १७वी, आदि: चेतन उलटी चाल चाले, अंतिः चढि बैठे ते निकले, गाथा ४.
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११. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
श्राव. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदिः चेतन नैकल तोहि संभार, अति: सुमिरन भजन अपार, गाथा-४.
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१२. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
मा.गु., पद्य, आदि: दुविधा कब जे है या अंति: बलिहारी वा छिनकी गाथा ४.
१३. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. २आ, संपूर्ण.
पु,ि पद्य, आदि हम बैठें अपनी मोनसी अंतिः सुरझै आवागौनसों, गाथा ४.
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१४. पे. नाम औपदेशिक पद, प्र. २आ-३अ. संपूर्ण.
साधारणजिन पद, जै. क. बनारसीदास पुहिं, पद्म, आदि सुखदायक सुख एव जगत; अंतिः करत वनारसि सेव
गाथा-४.
१५. पे. नाम. रामायन अष्टपदी, पृ. ३अ संपूर्ण.
पु.ि, पद्य, आदिः विराजे रामायन घटमां अंतिः निहवै केवल राम, गाथा ८.
१६. पे. नाम. सद्गुरुआलाप दोहरा, पृ. ३अ, संपूर्ण.
पुहिं., पद्य, आदि ज्यौं बातार दयाल होइ, अति: तुं चात्रिक हुं मेह, गाथा- ६.
१७. पे. नाम, औपदेशिक अष्टपदी, पृ. ३अ-३आ, संपूर्ण.
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औपदेशिक अष्टपदी-भोंदुभाई, पुहिं., पद्य, आदि: भोदूभाई समुझि सब ईह, अंतिः कै गुरुसंगति खोलै, गाथा-८. १८. पे. नाम औपदेशिक अष्टपदी, पृ. ३आ, संपूर्ण.
औपदेशिक अष्टपदी-भोंदुभाई, पुहिं, पद्य, आदि भोदूभाई देखि हिरदे; अंतिः निरविकलप पद पावै, गाथा ८. १९. पे. नाम औपदेशिक पद, पृ. ३आ, संपूर्ण
जै.क. बनारसीदास, पुहिं, पद्म, आदि; तूं भ्रम भूलिन रे, अंतिः ना कर होड विरानी, गाथा-२.
२०. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
पार्श्वजिन पद- चिंतामणि, श्राव. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: चिंतामनि स्वामी; अंति: करै बनारसि बंदा तेरा,
गाथा ४.
२१. पे नाम औपदेशिक पद, पृ. ३आ, संपूर्ण.
जै. क. बनारसीदास, पुहिं., पद्य, आदि: चेति चेति चेतन प्रान; अंति: देखहु आप नीसानी, गाथा- ३.
२२. पे, नाम, परमारथ हिंडोलना, पृ. ३आ-४अ, संपूर्ण.
परमार्थहिंडोल अष्टपदी, केसोदास, पुहिं., पद्य, आदि: सहज हिंडोलना हरख; अंति: विधि सौ नमत केसोदास, गाथा - ९. २३. पे नाम, औपदेशिक पद, पृ. ४अ ४आ, संपूर्ण,
भाव. बनारसीदास, पु,ि पद्य, वि. १७वी, आदि देखौ माई महाविकल, अंतिः अलख अखैनिधि छूटै, गाथा-८.
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२४. पे. नाम. अध्यात्म पद, पृ. ४आ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, वि. १८वी, आदि: आस्या ओरन की कहां, अंति: खेलैं देखैखलकतमासी,
गाथा ४.
२५. पे. नाम. अध्यात्म पद, पृ. ४आ, संपूर्ण.
आध्यात्मिक पद, मु. आनंदघन, पुहिं., पद्य, वि. १८वी, आदि: राम कहौ रहिमान कहौ क; अंति: चेतनमय नही क्रमरी, गाथा ४.
२६. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. ४आ, संपूर्ण.
कबीरदास संत, पुहिं., पद्य, आदि: क्यौं लीजै गढवंका; अंति: राज दीया अविन्यासी, गाथा-७.
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