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Santinatha Jain Bhandara, Cambay
अंतः
पइदिणमुवओगाओ लेसेणाहारगोयरं पायं । अहयं पच्चक्खाणं बोच्छं नवकारमाईयं ॥ २ ॥
आवस्सय पंचासय-पणवत्थुयविवरणाणुसारेणं । पञ्चक्खाणसरूवं भणियं जसभदसूरीहिं ॥ २८ ॥ पच्चक्रखर गणणाए गंथपमाणं सयाणि चत्तारि ।
नयणवसुरुद्दमाणो ११८२ विक्कमनिववच्छरो एत्थ ॥ २९ ॥
संवत् १२४४ वर्षे ज्येष्ठ वदि ५ रवौ प्रत्याख्यानविवरणं लिखितमिति ॥ छ ॥ लिखितं ब्रा० लक्ष्मीधरेणेति ॥ छ ॥
No. 70 (1) Pākṣikasūtra and Pākṣika Kṣāmaṇakasūtra (१) पाक्षिकसूत्र तथा पाक्षिक क्षामणकसूत्र
Folios – 54 to 78 Language Prakrit
Age of MS. - 1284 V. S.
अंतः
Jain Educationa International
Folios - 79 to 174 Language Prakrit
Author Bhadrabahusvāmī Age of MS. - 1284 V. S.
आदि:
(2) Oghaniryukti (2) atafayfa
Size - 13.7 x 2.2 inches Condition - Good
Extent – 1149 Gathās Size - 13.7 x 2 inches Condition - Good
॥ नमः सर्वज्ञाय ॥
अरहंते वंदित्ता चोदसपुव्वी तहेब दसपुव्वी । एकारसंग सुत्तत्थधारए सव्वसाहू य ॥ १ ॥ ओहेण उ निज्जुत्तिं वोच्छं चरणकरणाणुओगाओ । अप्पक्खरं महत्थं अणुग्गहत्थं सुविहियाणं ॥ २ ॥
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एसा ओहसमायारी जुंजंता चरणकरणमाउत्ता । साहू खवेंति कम्मं अणेगभवसंचियमणंतं ॥ एसा अणुग्गहत्था फुडवियडविसुद्भवंजणा इणमो | एक्कारसहिं एहिं अहिं अहिएहिं संगहिया ११०८ ॥ छ ॥
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