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[ ५४ ]
सं. १८७३ । व । माघ शुद | ७ | शुक्रे श्रीपार्श्वनाथविवं शा . वीरचंद हीरजी । त । श्री श्रीविजयजिनेंद्रसूरिभिः प्रतिष्ठितं ग्राम मोरबीना... ।। संवत् १९०३ शके १७६० प्रवर्तमाने माघमासे... भृगौ वासरे श्रीराधनपुरवास्तव्य वीसा सिरमाली .
संवत् १८९३ शाके १७५८ म । माघशुक्ल १० तिथौ बुधवासरे श्रीराजनगर ओसवाल ज्ञाति वृद्धशाखायां सिसोदियावंशे कुंकुमलोलागोत्रे से । खुसालचंद तत्पुत्र से । वखतचंद तद् भार्या.
संविज्ञपक्षि पं. श्रीपद्मविजयगणिए कसला वोरा उपर लखेल एक पत्र.
॥ श्री ॥
| | ० || स्वस्ति श्रीपार्श्वपरमेश्वरं प्रणम्य श्री लींबडी नगरे सुश्रावक पुण्यप्रभावक देवगुरुभक्तिकारक संघमुख्य । वो । कसला डोसा योग्यं । श्री अम्मदाबादथी लि | पं पद्मविजयनो धर्मलाभ जाणवो । बी । अत्र पुण्योदय प्रमाणें सुख छें । तुम्हारो पत्र १ आव्यो ते वांची समाचार जाणया । तुम्हे लिख्युं जे चौदमा गुणठाणाने द्विचरम समये ७२ क्षय करी अने १३ प्रकृति चरम समयें क्षय करी सिद्धि वर्षा ते चरम समये ज सिद्धि वर्षा के लगतें समयें सिद्धि वर्या ? इम लिख्युं तेहनो उत्तर
चौदमा गुणठाणाना छेहलो समय गई लगतें समयें सिद्धि वर्षा, जे कारणें छेहलें समयें तो : १३ प्रकृति उदयमां तथा सत्तामां छें, अनें जे समयें उदय सत्तागत कर्म होय तेह ज समई सिद्धि, इंम कहेवाय ज किम ? कांय समयना वें भाग थता नथी । तथा जे कमनो उदय तेह ज कर्मनो क्षय, एक समतें किम होय ? तथा कोई कहेस्यें जे ए तो व्यवहार व्याख्या छें, निश्चय थकी चौदमा गुणठाणानें छेहलें समये सिद्धि ते पणि कहें न घंटें । जे कारण माटे आउषा कर्मनो परिशाट को छई. जे आयुकर्म सर्वथा जीवथी भिन्न कि वार थयुं, तिवारें विशेषाव
कमांक जे निश्चयनयें " परभत्रपढमे साडो” इति एतलें परभवने प्रथम समये सर्व शात को. जिवारे छेंहलें समयें तो न कह्यो । वली श्री वि शेवावश्यक मध्ये केवलज्ञान उपजावा आश्री निश्रय व्यवहारनय फलाव्या छे, तेहमां इंम ठराव्युं जे - निश्चय थकी केवलज्ञान तेरमा गुणठाणानें प्रथम समयें उपनुं, अने व्यवहार नवें तेरमानें बीजें समये उपतुं, जे माटें व्यवहारनय ते उपना पछी उपनुं कहें छें; क्रियाकाल-निष्ठाकाल भिन्न समयें मानें छें. अनें निश्वयनय उपजतां वेला उपनुं कहें छें, जे माटें निश्वयनय क्रियाकाल - निष्ठाकाल एक मानें छें इति । ए रीतें विशेषावश्यकमां चर्चा करी छें, पणि बारमा गुणठाणानें चरम समये केवलज्ञान एहनुं तो कहिई लिरूं नयी । जो ते बारमाने छेहलें समयें केवलज्ञान उपतुं लिख्युं होत तो चौदमानें छेहलें समयें सिद्धिं इंम कहेंबात ते तो नथी । ते माटें लगते समय सिद्धि इति । वली सूगडांग सूत्रमां केवली भगवाननें इरियावही संबंधी शाता