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मै जोई सुन्यौ पुरानमहि ॥ क्रक जोई वर्णन कीन । श्रोता पाठक हेतिसौं, पावै भक्ति प्रवीन ।। २ ।। इति श्री चतुर्विंशतिअवतारचरित्रे महामुक्तिमार्ग भाषा बारहट नरहरदासेन विरचित ग्रंथानाम अवतार चरित्रं भाषा शिरोमणी संपूर्ण ॥ श्री।। शुभं भवतु ।। कल्याण
मस्तु ॥ श्रीरस्तु॥ 31 illustrations of the Rajasthani (Mewar) school. Lent by the Allahabad Museum, Allahabad.
VIDYAPATI - PADAVALI
(Poems of Vidyāpati)
Foll. 34; size 32x5.5 cm; palm-leaf; Maithili script; 5 lines to a page ; Maithili. Author : Vidyāpati Thakur (14th century).
Begins :
....."सो रहव अअधि भए लाजे ।
Ends :
प्रथमहि हाथ पयोधर लागु पुलके प्रमोदे मनोभव ।
These are collections of Vidyāpati's poems. The manuscript seems to be 300 years old.
Lent by Patna University, Patna (Bihar).
SAKUNTALĀNĀTAKAKATHĀ (Hindi version of the well-known Sanskrit drama, the Abhijñāna
Sākuntalam, by Kālidāsa)
Foll. 47 ; Size 23.5 X 15.3 cm; paper; Devanāgari script; 16 lines to a page ; Hindi; dated Samvat 1845(A.D. 1788). Author: Kavi Nivāj. Begins : श्री गणेशाय नमः ।। अथ सकुंतला नाटक लिख्यते ॥ कवित्त ॥ राखत न सूरज ससी की
परवाहि निसिवासर प्रफुल्लित रहत एक बानी के ॥ ध्यान हूकियेते देत ग्यान मकरंद वास नाक में लहै कहै या जिनकी कहानी के ।
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