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Begins : श्री चामुण्डा प्रश्नचक्रम्हाणायाचा ३२४ घरांचा चक्रांत १४४ घरांचे आणि ६४ घरांचे ही
बुधबलपटभित होऊण १ या आंखास विभागरीत्या आठादि शांत ही गांठ पडल्या अश्वगती कडून संपूर्ण श्सले आहे याचकाचा अंकोद्धार श्लोकाचा अनुलोम विलोम गती केडून १०६४
भेदचक्रे उत्पन्न होतात ॥ Ends: या ६४ घरांचा बुधबलपटांत चित्र विचित्रवाणी तेरीज व्हावयाचा या जगन्मोहन चक्रांत
मध्ये १६ घरांत दंडपार्श्व इत्यादि ५६ प्रकारानेहि १५४ तेरी जहोईजेसव भोवतें १ बल्यांत बारा खंडांत ही चार-चार घरांस १२२ तेरीज होईजे संही एकाश्वगति चालविली आहेयाचे
. १२६ भेदचकें उत्पन्न होतात ॥ Colophon : श्रीमत्समस्तधरणीमंडलपुण्डरीककणिकायमान कर्णाटकजनपदमध्य-विद्योतमान नि:
समानवैभवभवनायमान श्रीमन्महीशूरपुरवराधीश राजाधिराज चामराजधर्मपत्नी रत्नके पनं जां...... श्री चामुण्डादयासांद्र श्री कृष्णेन्द्रविनिम्मिता। प्राचन्द्रतारक जीयात् प्रश्नचक्रे हयप्लुति: ६४ ।। श्री॥ श्री ॥
Lent by the Government Oriental Manuscripts Library, Madras.
ABHINAYACHANDRIKĀ (On a classical dance of Orissa called the odisi dance) Foll. 47; size 39x4 cm; palm-leaf; Oriya script; 2 lines to a page; Sanskrit. Author: Maheśvara Mahāpātra (A.D. 1764); scribe: Gopipātra. Begins : ନମୋହରେ ଘୃଶ କଲ3ଧଦାସୀନ
ଡ୍ରାମାସୁ ଭ୍ର ମହାକାୟ ଦନ୍ତୀ ନୃତ୍ୟ ଶିଖିଦ ତାଣ୍ଡବପି ୟୁ ପୁତ୍ର ୟୁ ତାଣ୍ଡବ ଫ୍ରି ୟୁ-ଧୂର୍ଜ6
ନମୋ ଚିନ୍ତାମଣି ନ ଶୁଦ୍ଧ-ବୃଦ୍ଧି ପ୍ରଦାୟିକ । Ends : ନୃତ୍ୟଭାବଢଥାଢନ୍ଧୁ ଯଥାଶ ସ୍ତ୍ରନୁମୋଦିତ୍ୟ
ଖଣ୍ଡ ବ୍ର ସମାବେଶେ ନୃତ୍ୟାଭିନୟ ଲଣମ୍ । 6 Asmi PDIAN-AROO ପରିତେଶ ପ୍ରସ୍ଥାୟୁ କନ୍ମ ଜୀ ମୋଦକମ୍ !! ଊଡିଦେଶାନୁସରଣ ଯଥଚାରିସମ । ତଥାଶ୍ମୀକାନୁବନ୍ଧିନ କହାଭିନୟ ର କ! ||
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