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________________ (१५५ श्लोकसख्या रचनास, लेखनस. स्थिति लम्बाई-पहोळाई क्रमांक पुस्तकनु नाम पत्र भाषा १०१।। ४४।।। १०।। ४५ १०111४५ १०।।। ४४|| १०।।। ४५ १०।11 x ५ '' १९४४ १०||1 x ४।। १०।४४|| १०।।। ४।। १०।।। ४५ १८२१७ छवीस द्वार ११ हिंदी १८१८ उत्तम १८२१८ पासाकेवली अपूर्ण २०मो उत्तम १८२१९ मंत्रसंग्रह अपूर्ण ५ सं०प्रा० १८२२० अनुत्तरौपपातिकाग सूत्र ५ प्रा० १६५२ .. १८२२१ सजनचित्तवल्लभ अपूर्ण ३ सं० १९मो . १८२२२ क्षेत्रसमासविचार अपूर्ण ४ सं० १८२२३ इर्यापथिकी षट्त्रिंशिका सविवरण २१ प्रा०सं० धर्मसागरोपाध्याय विव० स्वोपज्ञ ७४७ १८२२४ आतमीमांसा सटीक ३७ सं० मू० समंतभद्राचार्य टी० वसुनंदाचार्य १८२२५ (१) क्षेत्रसमास सस्तबक १-१३ पागू (२) लोकनाल द्वात्रिंशिका सस्तबक) १३-१५ प्रा०पू० १७८६ जीर्ण १८२२६ भक्तामर स्तोत्र बीजमंत्रयुक्त ११ सं०]० मूल मानतंगसूरि १९२० उत्तम १८२२७ आषाढभूति चोपाई ६ ग० कनकसोम १६३८ १९मो १८२२८ द्वादशमास संक्रान्ति विचार १८२२९ (१) लघु योगप्रदीप । मध्यम (२) द्वादशभावना . , ५ सं० १८२३० आलोचना चोपाइ' २ गूल समयसुंदरोपाध्याय उत्तम १८२३१ सत सया सस्तवक अपूर्ण ९ हिंदी मूल बिहारीदास १८२२२ भववैराग्यस्तव सस्तवक ९ पागल १८२३३ संग्रहणीप्रकरण १८ प्रा० श्रीचद्रसूरि गा० ३२७ १८मो १८२३४ नवतत्त्व प्रकरण सस्तबक ५ प्रा०हि० मूलगा०६० १९मो मध्यम १८२३५ जीवविचारप्रकरण सस्तबक ४ .. मूल शांतिसरि १८२३६ सारस्वत प्रक्रिया प्रथमश्लाक दशा था-२ सं० १९मो उत्तम १८२३७ अक्षर बनीसी २ हिंदी भगोनीदास जीर्ण १८२३८ पासा केवली ६ सं० गर्गर्षि १९५८ उत्तम १८२३९ वैराग्यस्वाध्याय २ हिंदी गोपालदास १९५५ , १८२४० साधुवंदना ४ गू जैमलऋषि १९मो .. १८मो २०।।। ४।। १०।।।xxii १०।।। ४ ४11 १०।।। ४।। १०।। ४५ १०।।४५ १०।। ४।। १०।। ४५ १०४४।। १. प्रथम पत्र नी २. प्रणम्य परमात्मानं आ "लोकना दश अर्थ छे.. . Jan Education international For Prve & Personal use only
SR No.018046
Book TitleCatalogue of Manuscripts of Patana Jain Bhandara 01 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay, Jambuvijay
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1991
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size13 MB
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