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क्रमाक
पुस्तकनु नाम
पत्र
भाषा
कर्ता
श्लोकसरूया रचनास, लेखनस. स्थिति लम्बाई-प होताई
४०
प्रा. भद्रबाहुस्वामी
गा. ११६४
१६३७४ ओधनियुक्ति १६३७५ पिण्डविशुद्धि अवचूरि १६३७६ त्रिषष्टिशलाकापुरषचरित्र सप्तम पर्व
रामायण १६३७७ पिण्डनियुक्ति सटीक
१०। ४।। १०।। x ४|| १०। ४४
११३
सं. हेमचंद्रसूरि
३७२१
७६७१
१४९१ मध्यम १०॥४४॥
१६३७८ पंचाशक प्रकरण सटीक
९९४२
१०।
४।।
टी.११२४
१६३७९ पंचाशक प्रकरण सटीक १६३८० सनत्कुमार चरित्र' १६३८१ दानादिकुलक सटीक धर्मरत्नमंजुषा
२३० प्रा.सं मू. भद्रबाहुस्वामी
टी, वीरदेव गणि १५९ .. मू. हरिभद्रसूरि
टी. अभयदेवसूरि
टी, अभयदेवसूरि प्रा. श्रीचंद्रसूरि सं. मू देवेन्द्रसूरि
टी. देवविजय गणि स. देवप्रभाचार्य मलधारी
श्यामाचार्य श्यामाचार्य
१२१४ १२७१६ १६६६
१०॥४४॥ १०1४४॥
१०००० ७७८७
११०९ २१२० ३९३०
१६३८२ पांडवचरित्रमहाकाव्य १६३८३ प्रज्ञापनासूत्र १६३८४ प्रज्ञापनासूत्र १६३८५ निरयावलिकासूत्र १६३८६ राजप्रश्नीयोपांगसूत्र १६३८७ स्थानांगसूत्र १६३८८ निरयावलिकासूत्र १६३८९ निरयावलिकासूत्र सटीक-त्रिपाठ १६३९० निरयावलिकासूत्र १६३९१ निरयावलिकासूत्र १६३९२ निरयावलिकासूत्र १६३९३ अनुयोगद्वारसूत्र १६३९४ अनुयोगद्वारसूत्र १६३९५ अनुयोगद्वारसूत्र
.. सुधर्मास्वामी २८ प्रा. ३८ प्रा. स. टी श्रीचंद्रसूरि .३४ प्रा.
९ ।४ ।।
१०।। ४४। १६२८
१०।। ४।। १०।।४४
१०। ४४।। मध्यम १०।। ४ १६७५ सारी १०। ४४||
उत्तम १०॥४४ १६६२ मध्यम १०x४।। १६६८ उत्तम १०।४४।।।
जीर्ण प्राय: १०।४ ४||
उत्तम १०।। ४।।
१७१४ ११०९ १२५० १३१९
६१
..
२०००
१७२१ ..
१०x४||.
१. पत्र १०७ मु तथा १४० मुं डबल छे. २. पत्र ८३-८४ भेगा छे, ३. चित्रपूष्ठिका सह ४. उधइए खाधेली छे. ५. एक खूणे थी उदरे खाधेली छे ६. प्रथम-द्वितीय पत्रमा महावीर गौतमनु चित्र छे.
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