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292
176
196
208
Jaina Literature and Philosophy Page Line Incorrect
Correct 170 24 यातुर्यो
या तुर्या " pen° पत्न्याव(?म)जय
पत्न्यावजय 1719 चंपल्लतामहण'
चंपलता महण रुषि
ऋषि 177 22 भूयाद्विने
भूयाद् दिने 178 25 191
192 श्रीसीधर (6)
श्रीसीधर(:) श्रीजिनपति
श्रीजिनपति patrs
parts 204 Report,
Report, Bombay, 1881, 102, Bombay, 1881. 102. 1474 (2)
J471 226
१६५१ 227 'लोकै(:)परि
'लोकै(:) परि धन्ये पुरे
धन्ये पुरे 229 28 1995
1915 230 15 Jivāvijaya
Jivavijaya ब्रह्मविदा
ब्रह्मविदा जबसमणेणं
जंबू ! समणेणं धनीनाम्ना
धनी नाम्ना 265
Author *** Suri 293 ॥
ऋषि (? Amaracandra) 2959
समर(?)चंद्राख्य स्तेन समरचंद्राख्यस्तेन 304 15 जहमुबहगभ०
जह मुन्व(च)ह गम्भ "ज म(पु)ण दुग्गई जमणदुग्गइ 317 29 पुण्णमद्वचेतिए
'पुण्णभव'चेतिए 3 ......-आराधनापडाया ... आराहणापडाया 21 .... -Author.
Author of bälävabodha. 357 ऊसहस्स
ऊ(दु)सहस्स 359 20 पुक्खखर'
पुक्खरवर
228
6
ऋषि
294
328
348
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