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VIII ] Works and their Sections
235 । कल्पसिद्धान्त (s. VIII of Dasi ) II-183, 26; 187, 2. See कल्प
(No. I) (p. 234). कल्पसूत्र II-216; 29, 217, 1; 217, 2 कल्पसूत्र ( =बृहत्कल्प ) II-239, 12; 257, 23. See कप्प (p. 234). कल्पसूत्रचूर्णि II-155,6 कल्पाकल्प IV-108, 23-24. See कप्पाकप्प ( p. 234 ). कल्पाध्ययन (s. VIII of Dasā) II-155, 25. See कल्प ( No. I) (p. 234). कल्पाध्ययन ( = बृहत्कल्प) II-50, 10. See कप्प (p. 23+). कल्पान्तर II-206, 26, 207, 18 कविदर्पण IV-20, 22 कविदर्पण IV-15, 21 कात्यायनी ( स्मृति) II-166, 17 कायोत्सर्गगाथा IV-152, 23 कालिकाचार्यकथा II-202, 15; 204, 20-21; 205, 20-21; 206, 29;
212, 21 कावलिय (s. VIII of Uttarajjhayana ) III-57, 26. See कपिलीय
(p. 233), काविलिज III-67, 5 काविलिय II-292, 22 'काशिकृष्ण(स्न) (व्याकरण ) II-166, 24 किरणावली II-142, 24; 143, 13; 143, 16-17; 143, 19; !SI, 24 केशिगोतम (s. XXIII of Uttarajjhayana ) III-30, 19 केसिगोआमिज्ज III-67, 9 केसीगोयम III-57,30 कोडिल्लय II-292, 21 क्रियारत्नसमुच्चय III-296, 12 क्षुल्लकनिय(प्र)न्य ( s. VI of Uttarajjhayana ) III-30, 20. See खुड्ड
निग्गन्थ ( p. 235 ).
खमासमण IV-228,9 खलुकिय ( S. XXVII of Uttarajjhayana ) III-58, 1 खलुङ्गिज्ज III-67, 10 खुडियाविमाणपविभत्ति III-513, I0. See खुड्डियाविमाणपविभत्ति (p. 235). खुड्डनिग्गन्थ ( s. VI of Uttarajjhayana ) III-57, 25. See क्षुल्लकनिन
" (प)न्थ ( p. 235). ( खुड्डियाविमाणपविभत्ति II-293, I0. See खुडियाविमाणपविभत्ति (p. 235). र खुड्डिविमाणपविभत्ति II-38, 20.
1 The author is काशकृत्स्न, For details about him and his grammar eto. see सं० व्या०३० ( ch. III, pp. 18-86).
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