________________
168
Jaina Literature and Philosophy
[ Appendix
!
तपा (गण) I-197, 15, 202, 9, 218,53224, 1; II-104, 22; 104,
27; 105,3; 106, 20; II4, 29; 115, 3; ITS, 10; 156, 6%; 223, 6; 223, 13; III-12, 26; 49,7; 76, 23; 263, 15; 266
21; 301, 22; 388, 22; 390,75453,53 507, 6 'तपो ( गण ) II-293, 25; IV-120, 26 तव (गच्छ ) IV-149, 253 थारापद्र (गच्छ ) I-323, 8; III-21, 7371, 23 देवसूर ( गच्छ ) III-41,1 नागपुरीयतपा (गच्छ ) IV-121, 20; 135, 20 नागपुरीयतपो (गण) III-168, 28 नागोरील(लं)का (गच्छ ) IV-132, 17-18 निवृत(ति)(क) (कुल) I-88, 1; 122, 12, 149, 273165, 26 पल्लीवाल III-123, 28 पूर्णिमा ( पक्ष) I-375, 25; same as राका. प्रश्नवाहन (कुल ) II-324, 25 बृहत्खरतर ( गन्छ ) I-18, 1; 19, 20; II-172, 8; 218, 10; III-119,
24. 5. खरतर. बृहत् ( गच्छ ) I-341, 25; III-21, 20 ब्रहत्तप III-522, 26. S. तपा & वृद्धतपा. बृहत्तपा (ग) 1-5, 28; 7, 3; IV-210, 21. s. तपा, वृद्धतपा & वृद्धतपो. भीमपल्लीय (गण ) I-256, 20 मेरा ( गच्छ) I-73, 23 राका (पक्ष ) I-256, 13; same as पूर्णिमा. रुद्रपल्लीय (गच्छ ) 11-167, 31 लङ्का ( गच्छ ) I-302, 14; 339, 29; II-287, 8 लुम्पाक I-227, 28 बज्र ( शाखा ) 11-134, 23. S. वानी (शाखा) & वैरी (शाखा ). वट ( गच्छ ) 1-338, 14 वट (गण) I-224, 33 घाजी ( शाखा ) IV-167, 12. S. वज्र (शाखा) & धैरी (शाखा ).
( ।
I For तपागणी see III-269, 7. . For नागपुरीय. see p. 168. 3 For बृहत्तप, बृहत्तपा, वृद्धतपा, वृद्धतपो० & वृहत्तपा see pp. 168 & 169
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org