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के साथ दी गई है. पेटा अंकों से सूचित पेटा कृतियों की पूर्णता का यह विवरण पेटा अंकों वाले स्तर पर दिया
गया है. १०. प्रतिलेखन स्थल माहिति (ले.स्थल) : जिन एक या अधिक स्थलों पर प्रत-लेखन कार्य हुआ हो, उनका उल्लेख यहाँ
दिया गया हैं. ११. प्रतिलेखक आदि : प्रत की प्रतिलिपि लिखने-लिखवानेवाले विद्वान या लहिया आदि के नाम गुरू, गच्छ माहिती के साथ
यहाँ दिए गए हैं. उपदेशेन, क्रीत, गच्छाधिपति, पठनार्थे, प्रतिलेखक, राज्यकाल, लिखापितं, विक्रीत, व्याख्याने पठित, व्याख्याने श्रुत, समर्पित इत्यादि प्रकार से विद्वान/व्यक्तियों का उल्लेख प्रतिलेखन पुष्पिका के अनुसार यहाँ दिया
गया हैं. १२. प्रतिलेखन पुष्पिका उपलब्धि संकेत (प्र.ले.पु.) : प्रत में प्रतिलेखन पुष्पिका (प्रतिलेखक सम्बन्धी विस्तृत परंपरा आदि
का उल्लेख) की उपलब्धि की मात्रा के संकेत यहाँ दिए गए हैं. जैसे - प्रतिलेखन पुष्पिका अंतर्गत १ से लेकर ३ विद्वानों तक की सूचनाएँ प्रत में प्राप्त होती हैं तो सामान्य दिया गया है, ४ से लेकर ५ तक मिल रहे विद्वानों की सूचनाओं हेतु मध्यम तथा ६ से ७ विद्वानों हेतु विस्तृत एवं ७ से ज्यादा विद्वानों हेतु अतिविस्तृत प्रतिलेखन पुष्पिका
प्रकार दिया गया हैं. १३. प्रतविशेष (प्र.वि.): प्रत सम्बन्धी शेष उल्लेखनीय अन्य मुद्दों एवं प्रतगत कृति सम्बन्धी, परन्तु, सम्भवतः उसी प्रत में
उपलब्ध हो ऐसी उल्लेखनीय बातों का समावेश यहाँ किया गया है. प्रत क्रमांक के साथ (+) (-) द्वारा सूचित प्रत
विशेषताओं का उल्लेख भी यहाँ होगा. १४. दशा विशेष (दशा.वि.) : प्रत क्रमांक के साथ (#) द्वारा सूचित प्रत की जीर्ण दशा व उसकी मात्रा आदि सम्बन्धी
स्पष्टता यहाँ पर दी गई हैं. १५. प्रतिलेखन श्लोक (प्र.ले.श्लो.) : प्रत के अंत में प्रतिलेखक द्वारा दिए जानेवाले हृदयोद्गार-श्लोकादि के संकेत अपने
श्लोक क्रमांक के साथ यहाँ दिए गए हैं. यह श्लोक क्रमांक ज्ञानमंदिर में संगृहीत इस तरह के श्लोकों की सूची
में से दिया गया है. यह सूची भविष्य में योग्य खंड में प्रकाशित की जाएगी. १६. लिपि माहिती : प्रत जैन देवनागरी, देवनागरी आदि जिस लिपि में लिखी गई है, उसका उल्लेख यहाँ किया
गया हैं. १७. प्रत प्रकार : सामान्यतः कागज की बिना बंधे - छुट्टे पत्रों वाली प्रतों से भिन्न, किसी भी पदार्थ पर लिखी गई गुटका,
गोल व गडी प्रकार की प्रत होगी, तो उसका उल्लेख यहाँ आएगा. अन्यथा 'प्रत सर्वसामान्य कागज के बिन बंधे पत्रों
की है' यह समझ लिया जाना चाहिए. १८. लंबाई, चौड़ाई : प्रत की लघुत्तम व महत्तम लंबाई-चौड़ाई आधे सेंटीमीटर के अंतर की शुद्धि के साथ यहाँ दी
गई हैं. १९. पंक्ति-अक्षर : पृष्ठगत पंक्ति व पंक्तिगत अक्षरों को अंदाजन गिन कर लघुतम व महत्तम रूप से दिया गया है. इसके
आधार से कुल अक्षरों को ३२ से भाग दे कर अंदाजित ग्रंथ मान निकाला जा सकता है. पेटाकृति माहिती स्तर जिन प्रतों में पेटाकृतियाँ होंगी, उन्हीं प्रतों हेतु यह स्तर होगा. इस स्तर पर निम्न सूचनाएँ दी गई है. १. पेटांक : प्रतगत पेटाकृति का क्रमांक. २. पेटाकृति नाम : (पे.नाम) प्रतनाम की ही तरह यहाँ पर भी कृति का प्रत में सूचित नाम दिया गया है. मूल यदि टीका,
टबार्थ आदि युक्त हो तो प्रतनाम की तरह नियमानुसार 'सह' के साथ यह नाम दिया गया है. बहुधा कृति का मुख्य
प्रस्थापित नाम यहाँ दिए गए नाम से भिन्न होता है. यह नाम स्थूल-Bold अक्षरों में दिया गया है. ३. पेटाकृति पृष्ठ : (पृ.) पेटाकृति का आदि अंत पृष्ठ क्रमांक यहाँ दिए गए है.
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