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प्रस्तुत सूची में प्रयुक्त संक्षेप व संकेत कृति /प्रत/पेटांक नाम के बीच : का, की, के, इत्यादि विभक्ति सूचक. प्रत क्रमांक के अंत में छोटे उर्ध्वाक्षरों में - दुर्वाच्य, अवाच्य, अशुद्ध पाठ - सूचक. प्रत क्रमांक के अंत में छोटे उर्ध्वाक्षरों में - प्रत की महत्ता सूचक - कर्ता द्वारा लिखित प्रत, कर्ता के शिष्य द्वारा लिखित, प्रसिद्ध व्यक्ति द्वारा लिखित, रचना के समीपवर्ती काल में लिखित, संशोधित पाठ, शुद्धप्राय पाठ, टिप्पण युक्त विशेष पाठ, पाठ में सुगमता हेतु विविध प्रकार के चिह्नयुक्त प्रत यथा- अन्वय दर्शक अंक युक्त, पदच्छेद चिह्न, संधिसूचक चिह्न, वचन विभक्ति चिह्न, क्रियापद सूचक चिह्न आदि वाली प्रत. कृति नाम के बाद प्रयुक्त होने पर संयुक्त कृति की पहचान - यथा आवश्यकसूत्र सह नियुक्ति, भाष्य व तीनों की लघुवृत्ति. प्रत क्रमांक के अंत में छोटे उर्ध्वाक्षरों में - प्रत की अवदशा, पाठ नष्ट हो जाने से उपयोगिता में कमी सूचक. इस हेतु दशा विशेष में निम्न संकेत हो सकते है. मूल पाठ का अंश नष्ट हो गया (खंडित). टीकादि का अंश नष्ट है. मूल व टीका का अंश नष्ट है. टिप्पणक का अंश नष्ट है. अक्षर फीके पड़ गये हैं. अक्षर मिट गये हैं. अक्षर पन्नों पर आमने-सामने छप गये हैं. अक्षर की स्याही फैल गई है. जीर्णतावश नष्ट होने लगे हैं. जीर्णतावश नष्ट हो गये हैं. कृति परिशिष्टों में प्रत क्रमांक के अंत में प्रत की अपूर्णता सूचक. अपूर्ण, त्रुटक, प्रतिअपूर्ण हेतु.
आदिवाक्य अनुपलब्ध. अप. अपभ्रंश (भाषा) अंति: अंतिमवाक्य (कृति माहिती) आ. आचार्य (विद्वान स्वरूप) आदिः आदिवाक्य (कृति माहिती) उप. जिस विद्वान के उपदेश से प्रत लिखी या लिखवाई गई हो, उसके लिए यह प्रकार आता है. (प्र. ले. पु. विद्वान) उपा. उपाध्याय (विद्वान स्वरूप) ऋ. ऋषि (विद्वान स्वरूप)
कवि (विद्वान स्वरूप) कुं.
कुंडली (कृति स्वरूप) कुल ग्रं. मूल व टीका आदि का संयुक्तरूप से सर्व ग्रंथाग्र (परिमाण - प्रत व पेटाकृति विशेष में) कुल पे. कुल पेटाकृति (प्रत माहिती स्तर) क्रीत. किसी के द्वारा प्रत खरीदी गई हो तो. (प्र. ले. पु. विद्वान) को. कोष्टक (कृति स्वरूप)
गणि (विद्वान स्वरूप) गा. गाथा (परिमाण) गच्छा .
गच्छाधिपति (विद्वान स्वरूप) गद्य बद्ध (कृति प्रकार)
गुजराती (भाषा) गृही. गृहीत आदान-प्रदान में प्रत को प्राप्त करने वाला (प्र. ले. पु.विद्वान)
ग्रंथाग्र (परिमाण)
जैन कृति (कृति परिशिष्ट) जै.क. जैन कवि (विद्वान स्वरूप)
जैन देवनागरी (लिपि)
जैन श्वेतांबर तेरापंथी कृति. (कृति परिशिष्ट) दत्त. आदान-प्रदान में प्रत देने वाला. (प्र. ले. पु. विद्वान)
जैन दिगंबर कृति. (कृ. परि.) देवनागरी (लिपि)
क.
ग.
गद्य.
जैदे.
दि.
देना.
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