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कैलास श्रुतसागर सूची प्रकाशन की रूपरेखा इस परियोजना के तहत सूचीपत्र में मुख्य तीन विभाग किए गए हैं. १ हस्तप्रत माहिती. २ कृति माहिती. ३ विद्वान-व्यक्ति माहिती. यद्यपि कम्प्यूटर में सभी तरह की सूचनाएँ विस्तृत रूप से भरी जाती हैं एवं आगे भी उनमें परिष्कार, विस्तार जारी रखने का आयोजन है, तथापि प्रत्येक सूचीपत्र विभाग में मात्र तत्-तत् विभाग की सूचनाएँ शक्य विस्तार से देकर अन्य विभागों की संबद्ध सूचनाओं को आवश्यक हद तक संक्षेप में ही दिया जाएगा. इन संक्षिप्त सूचनाओं की विस्तृत माहिती के लिए संबद्ध विभाग के सूचीपत्र की अपेक्षा रहेगी. उपयोगिता एवं अनुकूलता के अनुसार उपरोक्त तीनों विभागों के सूचीपत्रों के क्रमशः प्रकाशन का आयोजन है.
यहाँ पर सूची प्रकाशन रूपरेखा की मूल अवधारणा में हुए परिवर्तनों, परिवर्द्धनों के साथ संक्षिप्त ढांचा ही दिया गया है, विस्तारपूर्वक जानने हेतु कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची- जैन हस्तलिखित साहित्य खंड १.१.१ में पृष्ठ २२ से २४ देखें. १. हस्तप्रत विभाग
इस विभाग में महत्तम उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए हस्तप्रतगत कृति की धर्म आदि प्रधानता के अनुसार निम्न वर्ग किए गए हैं. ये सूचियाँ यथोपलब्ध प्रत क्रमांक के अनुक्रम से होंगी. १.१ जैन कृति वाली प्रतें, १.२ धर्मेतर साहित्यिक आदि कृति वाली प्रतें, १.३ वैदिक कृति वाली प्रतें, १.४ शेष धर्मों की कृति
वाली प्रतें. इनमें प्रथम, हस्तप्रत केन्द्रित - इस सूची में सूचनाएँ तीन स्तरों पर दी गई हैं. (१) प्रत माहिती स्तर : इस स्तर पर प्रत सम्बन्धी उपलब्ध सूचनाएँ उपयोगिता एवं सूची पुस्तक के कद की मर्यादा को ध्यान
में रखते हुए विविध अनुच्छेदों में शक्य महत्तम विस्तार से दी गई हैं. (२) पेटाकृति माहिती स्तर : इस द्वितीय स्तर पर यदि प्रत में क्रमशः स्वतंत्र पृष्ठों पर एकाधिक कृतियाँ मिलती हों तो उन
पेटाकृतियों के नाम, पृष्ठांक, पूर्णता आदि सूचनाएँ यथायोग्य दी गई हैं. खंड ४ से यह स्तर व्यक्तरूप से अलग किया
गया है. (३) कृति माहिती स्तर : इस तृतीय स्तर पर प्रत में रही कृतियों का निर्णय करने हेतु आवश्यक लघुतम सूचनाएँ ही दी गई
हैं. पुस्तक के कद को मर्यादित रखने के लिए भी यह आवश्यक था. कृति की शक्यतम विस्तृत माहिती द्वितीय कृति विभाग वाली सूची में दिए जाने का आयोजन है.
प्रत्येक खंड में तत्-तत् खंड में आए कृति परिवारों का मूल कृति के अकारादि क्रम से तत्-तत् कृति हेतु तत्-तत् खण्डगत प्रतों के क्रमांकों के साथ (१) संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषा की कृतियों हेतु एवं (२) मारुगूर्जर आदि देशी
भाषा की कृतियों हेतु - इस तरह दो परिशिष्ट दिए गए हैं. १.५ हस्तप्रत विभाग के परिशिष्ट : इस वर्ग में हस्तप्रत विभागीय विविध परिशिष्टों का समावेश किया जाएगा. १.५.१ प्रत,
पेटाकृति व कृति लेखनगत विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिकाओं का संग्रह., १.५.२ प्रतिलेखन वर्ष से प्रत क्रमांक. १.५.३ प्रतिलेखन स्थल से प्रत क्रमांक, १.५.४ विद्वान/व्यक्ति (प्रतिलेखक आदि) नाम से प्रत क्रमांक. १.५.५ प्रतिलेखन
पुष्पिका श्लोक संग्रह - श्लोकानुक्रम से, १.५.६ प्र.पु.श्लोक - अकारादिक्रम से. २. कृति विभाग
इस विभाग के तहत कृति को केन्द्र में रखकर उससे संबद्ध अनेकविध सूचनाएँ निम्नोक्त प्रकार से आएँगी. २.१ कृति पर से प्रत माहिती : यद्यपि खंड १.१.२ के प्रकाशन से प्रत्येक खंड के अंत में उस-उस खंड की कृतियों का यह
परिशिष्ट संक्षिप्त रूप से दिया जा रहा है, तथापि सभी खंडों की कृतियों को अपनी महत्तम विस्तृत सूचनाओं के साथ संकलित रूप से देखने की सुविधा के लिए प्रतानुसार कृति माहिती के सभी खंड छप जाने के बाद निम्नोक्त प्रकार से अलग से भी प्रकाशित करने का आयोजन है. २.१.१.१ जैन संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश भाषाओं की - स्थिर कृतियाँ, २.१.१.२ जैन मारूगुर्जर, गुजराती, राजस्थानी इत्यादि देशी भाषाओं की - स्थिर कृतियाँ, २.१.१.३ जैन संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश - फुटकर कृतियाँ, २.१.१.४ जैन
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