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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org: प्रकाशकीय जिनेश्वरदेव चरम तीर्थंकर श्री महावीरस्वामी, श्रुतप्रवाहक पूज्य गणधर भगवंतों, योगनिष्ठ आचार्यदेव श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी तथा परम पूज्य गच्छाधिपति आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी की दिव्यकृपा से परम पूज्य आचार्यदेव श्री कल्याणसागरसूरीश्वरजी के शिष्यप्रवर राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी की प्रेरणा एवं कुशल निर्देशन में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर के श्री देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण हस्तप्रत भाण्डागारस्थ हस्तलिखित जैन ग्रंथों की सूची के चतुर्थ व पंचम खंडों को परम पूज्य आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी की दीक्षा के ५३ वें वर्ष प्रवेश के पावन प्रसंग पर अनंत सिद्धों की सिद्धभूमि श्री सिद्धगिरिराज की पावनीय छत्रछाया में आदिज्ञानप्रवर्तक युगादिदेवश्री आदिनाथ प्रभु की परम कृपा से चतुर्विध संघ के करकमलों में समर्पित करते हुए श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा तीर्थ अपार हर्ष की अनुभूति कर रहा है. विश्व में बहुत से ग्रंथालय तथा ज्ञानभंडार हैं, किन्तु प्राचीन परम्पराओं के रक्षक ज्ञानतीर्थरूप आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर में हस्तलिखित ग्रंथों का जो बेशुमार दुर्लभ खजाना पूज्य गुरुदेवश्री द्वारा भारत के कोने-कोने से एकत्र किया गया है, वह भूमंडल पर अब अपना उल्लेखनीय स्थान प्राप्त कर चुका है.. प्रस्तुत प्रकाशन में संस्था में ही विकसित किये गये कम्प्यूटर आधारित विशेष प्रोग्राम के अंदर प्रविष्ट हस्तप्रतों की विस्तृत सूचनाओं के आधार पर मात्र चुनी हुई सूचनाओं को यहाँ पर प्रकाशित किया जा रहा है. समग्र सूची और भी अधिक विस्तार से ज्ञानतीर्थ के कम्प्यूटरों पर वाचकों हेतु उपलब्ध है. हस्तप्रतों की संप्राप्ति, संरक्षण, विभागीकरण, सूचीकरण तथा रखरखाव के इस कार्य व मार्गदर्शन में पूज्य आचार्यदेव के सभी शिष्य प्रशिष्यों का विशेष योगदान रहा है. तपस्वी मुनिप्रवर श्री निर्वाणसागरजी ने हस्तप्रतों की प्रथम कच्ची सूची एवं बाद में पक्की सूची हेतु एक लाख से ज्यादा फॉर्म भरने का वर्षों तक अहर्निश भगीरथ परिश्रम किया है. इस सूचीकरण की अवधारणा को और विकसित करने में तथा कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के कार्य में ग्रंथालय विज्ञान की प्रचलित प्रणालियों के स्थान पर महत्तम उपयोगिता व सूझबूझ का उपयोग करने में तथा समय-समय पर सहयोगी बनने हेतु पूज्य मुनिराज श्री अजयसागरजी, यहाँ के पंडितजनों, प्रोग्रामरों और कार्यकर्ताओं ने अपनी शक्तियों का यथासंभव महत्तम उपयोग किया है. इसी तरह पूज्य मुनिराज श्री नयपद्मसागरजी का भी उल्लेखनीय योगदान रहा है. संस्था सभी की अनुमोदना करते हुए हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करती है. सभी के मिले-जुले समर्पित सहयोग के बिना यह विशालकाय कार्य संभव नहीं था. नौ पंडितों के साथ करीब तीस कार्यकरों के माध्यम से श्रीसंघ के व्यापक हितों से संबद्ध ज्ञानमंदिर की अनेकविध प्रवृत्तियों के संचालन के लिए निरंतर बडी मात्रा में धनराशि की आवश्यकता रहती है. किसी भी प्रकार के सरकारी या इसी तरह के अन्य अनुदान को न लेकर मात्र समाज की ओर से मिलनेवाले आर्थिक व अन्य सहयोग के द्वारा कार्यरत इस संस्था में हस्तप्रत सूचीकरण व संलग्न अन्य विविध प्रवृत्तियों हेतु भारत व विदेश के श्रीसंघों, संस्थाओं व महानुभावों का भी आर्थिक सहयोग यदि नहीं मिल पाता तो यह कार्य आगे बढ़ाना मुश्किल था. समस्त चतुर्विध संघ तथा संस्था के सभी शुभेच्छुकों को इस अवसर पर साभार-धन्यवाद दिया जाता है. खास कर शेठ श्री आणंदजी कल्याणजी पेढी - अहमदाबाद की ओर से सूचीकरण के इस भगीरथ कार्य एवं ज्ञानमंदिर की अनेकविध प्रवृत्तियों हेतु ज्ञानद्रव्य में से जो निरंतर योगदान मिलता रहा है, उसने हमेशा हमारी चेतना को विकस्वर रखा है. बाबू श्री अमीचंद पन्नालाल आदीश्वर ट्रस्ट, वालकेश्वर, मुंबई व शेठश्री झवेरचंद प्रतापचंद सुपार्श्वनाथ जैन संघ, वालकेश्वर, मुंबई की ओर से मिले ज्ञानद्रव्य के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. सभी के हम सदैव ऋणी रहेंगे. कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची- जैन हस्तलिखित साहित्य के इस चतुर्थ खंड के वित्तीय सहयोग प्रदाता श्री जैन श्वेतांबर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर व तीर्थ के ट्रस्टीगण के प्रति संस्था कृतज्ञता व्यक्त करती है. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचार्य श्री कैलाससागरसूरि स्मृति ग्रंथसूची के इस चतुर्थ रत्न का समाज में स्वागत किया जाएगा, ऐसा हमारा विश्वास है. ट्रस्टीगण सुधीरभाई यू. मेहता, कल्पेश जे. शाह, गिरीशभाई वी. शाह, हेमंतभाई सी. ब्रोकर, श्रीपालभाई आर. शाह, अरविंदभाई टी. शाह, प्रवीणभाई एन. शाह, सोहनलाल एल. चौधरी, भीखुभाई चोकसी, किरीटभाई कोबावाला, सेवंतीलाल ! एम. मोरखिया, चांदमल पी. गोलिया, घीसूलालजी डी. राठोड, खूबीलालजी एल. राठोड. श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र ट्रस्ट कोबातीर्थ, गांधीनगर ३ For Private And Personal Use Only
SR No.018027
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2006
Total Pages611
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size7 MB
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