________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatith.org
Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir
संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१
५३१
(नमिउं वीरज) १३२९९
पार्श्वजिन माहात्म्य कथासङ्ग्रह- स्थम्भनपार्श्व, आ. मेरुतुङ्गसूरि, (२) पर्युषणदशशतक-वृत्ति, उपा. धर्मसागरगणि, सं., गद्य, मूपू., सं., ३२प्रबंध, वि. ११३१, गद्य, मूपू.. (श्रीस्थम्भ) १२५५९-१(+), (प्रणम्य) १३२९९
१२९८२-१(4), १२९८३-१(4) पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान, मु. नन्दलाल, सं., श्लोक ६२४, वि. | पार्श्वजिन लघुस्तवन-सारङ्गशब्दयुक्त, मु. रामविजय, सं., श्लोक
१७८९, पद्य, जै., (स्मृत्वा) ९४०१(+), १२५३०५). १३२८१- ७. वी. १९४२, पद्य, मूपू.. (वामासुत) १३१७१-३२(+) १(45), १२५२८
पार्श्वजिन स्तवन, आ. लक्ष्मीसागरसूरि, सं., श्लोक १३, पद्य, (२) पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान-बालावबोध, मागु., गद्य, मूपू., मूपू., (श्रीवामेयं) १३७११-११(4) (श्रीपार्श) १२५२७
पार्श्वजिन स्तवन, आ. सोमसुन्दरसूरि-शिष्य, सं., श्लोक २५, (२) पर्युषणअष्टाह्निका व्याख्यान-बालावबोध, मागु., गद्य, जै., पद्य, मूपू., (कीर्तिः) १३७१२-५ (श्रीपार्श) ९४०१(+)
पार्श्वजिन स्तवन-जीरावला, सं., गा. ४५, पद्य, (-)-<प्रतहीन.> पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान, आ. लक्ष्मीसूरि, सं., ३व्याख्यान, (२) पार्श्वजिन स्तवन-जीरावला-बालावबोध, उपा. धर्मनन्दी, ___ गद्य, मूपू.. (सामायिकप्र) १२५४९(+)
सं.,मागु., गद्य, मूपू., (अहं पार्श) ११२९१-१ पर्वविकृप्तिशतक, वा. बूटारत्न, सं., श्लोक १०२, वि. १५०४, पार्श्वजिन स्तवन-जीरावला, आ. जयशेखरसूरि, प्रा., गा. १६, ___ पद्य, मूपू., (श्रीसान्द) १३०८७-३
पद्य, मूपू., (देव दरिसणि) १२१६२-२६(5) पाक्षिक स्तुति-स्नातस्या, आ. बालचन्द्रसूरि, सं., श्लोक ४, पद्य, पार्श्वजिन स्तवन-जीरावला, आ. महेन्द्रसूरि, सं., श्लोक ४५, पद्य, ___ मूपू., (स्नातस्याप) १३६९६-३६), १३७१३-२०+), १००३१-६ मूपू.. (प्रभुं जीर) १३७११-९(4) (२) पाक्षिक स्तुति-टीका, सं., गद्य, (स श्रीवर्द)-<प्रतहीन.> पार्श्वजिन स्तवन-स्तम्भन, सं., श्लोक २, पद्य, मूपू., (श्रीसेढीतट) (३) पाक्षिक स्तुति-टबार्थ, मागु., गद्य, मूपू.. (जे भगवन्त)
११६०९-२ १३६९६-३(+)
पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., (अमरगिरिशिर) पाणिग्रहणज्ञान, सं., श्लोक ७, पद्य, जै., (नरस्त्रियो) १३६६२-५ ११६७७-२४(+) पाण्डव चरित्र, सं., पद्य, (आसीदथाविक) १२३६७५)
पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लोक १, पद्य, मूपू., (दशावतारो) १०६९१पाण्डव चरित्र, आ. देवप्रभसूरि मलधारी, सं., सर्ग १८, ग्रं.८०००, पद्य, मूपू., (श्रियं विश) १२३६६(45), १३३०३(45)
(२) पार्श्वजिन स्तुति-टीका, सं., गद्य, मूपू., (वामाङ्गजः) पाण्डव चरित्र, गणि देवविजय, सं., सर्ग १८, ग्रं.१००००, वि. १०६९१-२(+)
१६६०, गद्य, मूपू., (ॐ नमो वृष) १२३६५६+६), १२३८९ पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., (हर्षनतासुर) ११६७७पापबुद्धिराजा धर्मबुद्धिमन्त्री कथानक, सं., गद्य, मूपू., (धर्मतः २२) सकल) ११३४१(+), १११६१-१
पार्श्वजिन स्तुति-जीरावला, गणि प्रतिष्ठाकल्याण, सं., श्लोक १, पापबुद्धिराजा धर्मबुद्धिमन्त्री कथा, सं., गद्य, जै., (प्रथ्वीभूष) वि. १५२४, पद्य, मूपू., (श्रीमान्) ११७८७-२ १२५०८-३
पार्श्वजिन स्तुति-नाटिकाबन्ध, आ. जिनकुशलसूरि, सं., श्लोक ४, पार्श्वजिन चरित्र, सं., ग्रं.१६००, गद्य, मूपू., (पार्श्वनाथ) १२३६१ पद्य, मूपू.. (दें द्रे) ११६७७-३२), १०९७७-५ पार्श्वजिन चरित्र, आ. भावदेवसूरि, सं., सर्ग ८, ग्रं.६४००, वि. पार्श्वजिन स्तुति-पलबन्ध, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., (श्रीसर्वज)
१३१२, पद्य, मूपू., (नाभेयाय नम) १००४३(+), १०५९८५), ११६७७-२६(+), १०९७७-७ ११००३(+), १२३६३(+), १२३६२, १२३६४
पार्श्वजिन स्तुति-पलाकित जेसलमेरमण्डन, सं., श्लोक ४, पद्य, (२) पार्श्वजिन चरित्र-टबार्थ, मु. लक्ष्मीविजय, मागु., ग्रं.१२१४७, मूपू.. (शमदमोत्तमव) ११६७७-१७+)
वि. १८००, गद्य, मूपू., (प्रणिपत्य) १००४३), १२३६४ पार्श्वजिन स्तुति-सप्तविभक्तिगर्भित, सं., श्लोक १, पद्य, मूपू., पार्श्वजिन चैत्यवन्दन, सं., श्लोक ५, पद्य, मूपू.. (ॐ नमः पार) (पाश्चौं) १०९८५-२(45) १०३३०-२(+)
पार्श्वजिन स्तुति-स्तम्भन, सं., श्लोक ५, पद्य, मूपू., (भूमिनाभिसु) पार्श्वजिन चैत्यवन्दन, मु. शिवसुन्दर, सं., श्लोक ७, पद्य, मूपू.. १२५५९-२(+), १२९८२-२(+), १२९८३-२(+) (वरसं वरसं) १३१७१-३३(+)
पार्श्वजिन स्तोत्र, सं., श्लोक ४९, पद्य, मूपू., (पार्श्वनाथ) १२५४५पार्श्वजिन पूजाफल-स्थम्भनपार्श्व, सं., गद्य, मूपू., (प्रथमं श्र) १२९८३-३(4)
पार्श्वजिन स्तोत्र-गोडीजी, सं.,मागु., श्लोक ९, पद्य, मूपू.. (सकल
For Private And Personal Use Only