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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ ४६७ १६६०, गद्य, मूपू., (ॐ नमो वृष) २८९(45)
सं., श्लोक १०, पद्य, मूपू., (कमनकन्दनिक) २९०५-२(+) पापबुद्धिराजा धर्मबुद्धिमन्त्री कथानक, सं., गद्य, मूपू.. (धर्मतः पार्श्वजिन लघुस्तवन-सारङ्गशब्दयुक्त, मु. रामविजय, सं., श्लोक सकल) ६३९९, १२५३-२(5)
७, वी. १९४२, पद्य, मूपू., (वामासुत) २३४२-१०० (२) पापबुद्धिराजा धर्मबुद्धिमन्त्री कथानक-कथा, राज., गद्य, पार्श्वजिन स्तवन, मु. जैनचन्द्र, सं., श्लोक ७, पद्य, मूपू., मूपू., (पद्मावती) १२५३-२(5)
(अविचललक्ष) ५८२७-६१ पार्श्वजिन अष्टक, सं., श्लोक ९, पद्य, मूपू., (सुरदानवमर) पार्श्वजिन स्तवन, मु. लक्ष्मीवल्लभ, सं., श्लोक ७, पद्य, मूपू., ६०४२-१८(5)
(सदानीलगात) ५४९०-७०, ५८२७-५९ पार्श्वजिन अष्टक-कलिकुण्ड, मु. कल्याण, सं., श्लोक ९, पद्य, पार्श्वजिन स्तवन-करहेटक, सं., श्लोक ५, पद्य, मूपू., मूपू.. (विबुधादिरा) ६०४२-२४६७)
(आनन्दभंदकु) २६२६-५२, ५४९०-६८, ५८२७-५७, ५४८९पार्श्वजिन अष्टक-महान्त्रगर्भित, सं., श्लोक ८, पद्य, मूपू.,
५९(5) (श्रीमद्देव) ४२९६-२+5)
पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. कमलरत्न, प्रा., गा. ५, पद्य, मूपू., पार्श्वजिन अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र, मु. क्षेमराज, सं., श्लोक १३, | (नमिय सुरास) ५८२७-५२ पद्य, मूपू., (सिद्धक्षेत) ५४९०-५६
पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी, मु. धर्मवर्धन, सं., श्लोक ११, पद्य, पार्श्वजिन चरित्र, आ. देवभद्राचार्य, प्रा., ग्रं.१८६७, वि. ११६८, मूपू., (प्रणमति यः) ८९३९-१ गद्य, मूपू., (रसरुहिरमंस) ३११(+-)
(२) पार्श्वजिन स्तवन-गोडीजी-टीका, सं., गद्य, मूपू., (प्रणमतीति) पार्श्वजिन चरित्र, आ. भावदेवसूरि, सं., सर्ग ८, ग्रं.६४००, वि. ८९३९-२ १३१२, पद्य, मूपू., (नाभेयाय नम) ५२५४)
पार्श्वजिन स्तवन-जेसलमेरमण्डन चौदगुणस्थानकविचारगर्भित, पार्श्वजिन चरित्र, मु. हेमविजय, सं., सर्ग ६, ग्रं.३१६०, वि.
मु. राजसमुद्र, प्रा.,मागु., ढाल ३, गा. १९, वि. १६६५, पद्य, १६३२, पद्य, मूपू.. (श्रिये तत) ३३२०(4)
मूपू., (नमिअ सिरिप) ६००१-२४ पार्श्वजिन चैत्यवन्दन, सं., श्लोक ५, पद्य, मूपू.. (ॐ नमः पार) । पार्श्वजिन स्तवन-श्रृङ्खलाबन्ध, मु. जैनचन्द्र, सं., श्लोक ७, पद्य,
२४३८-२(+#), ७००३-२(+#5), १२०३-३(45), १७८६-३, ५४९०-६०, | मपू., (सर्वदेवसेव) २२२३-३+#5), ५४९०-६९, ५८२७-५८ ५८२७-५३, २१०१-२, ३१३१-१, २८२-७६), ३४५०-२(5), पार्श्वजिन स्तवन-स्तम्भन, सं., श्लोक २, पद्य, मूपू., (श्रीसेढीतट) ६०४२-२९(5)
२६२६-४(+), ५८२७-९३, ५४८९-४९(5) पार्श्वजिन चैत्यवन्दन, मु. शिवसुन्दर, सं., श्लोक ७, पद्य, मूपू., पार्श्वजिन स्तव-फलवर्द्धि, आ. जिनदत्तसूरि, प्रा., गा. ३, पद्य, (वरसं वरसं) ९४८-८
मूपू., (ॐ नमो हरा) ६२७९-२२६), ५४९०-५८, ५८२७-५१ पार्श्वजिन चैत्यवन्दन-चिन्तामणी, सं., श्लोक ३, पद्य, मूपू., पार्श्वजिन स्तव-स्थम्भन नवग्रहगर्भित, सं., श्लोक १२, पद्य, मूपू., (पार्श्वनाथ) ६०४२-२५)
(जीयाज्जगच) ७१८३-२(45) पार्श्वजिन दशभवसङ्क्षिप्तवर्णन*, सं., गद्य, जै., (पासे नामन) पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लोक ५, पद्य, मूपू., (अभिनवमङ्गल) ५२४२-१(६)
२६२६-५०+), ५४९०-६४, ५४८९-४०(5) पार्श्वजिन नमस्कार-जीरावला, सं., श्लोक १, पद्य, मूपू., पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., (अमरगिरिशिर) (आधिव्याधिह) २६२६-५(+)
__ १४८५-२९(+), १७९१-२६५, ७५४४-२७६) पार्श्वजिन मन्त्र-स्वप्नफलकथन, सं.,मागु., पद्य, पू., (ॐज्जतुं) पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लोक १, पद्य, मूपू., (कल्याणानि) ६४६०६२७९-२०(+)
२१, ६०४१-२९६) पार्श्वजिन महिमाश्लोक, सं., श्लोक १, पद्य, मूपू., (पार्श्वनाथ) पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लोक १, पद्य, मूपू., (पार्श्वः) ५४८९-४५(६) ६६२२-४
पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., (विश्वस्वाम) ६४६०पार्श्वजिन महिम्नस्तोत्र, आ. रघुनाथ, सं., श्लोक ४०+१, वि. १८५७, पद्य, स्था., (महिम्नः पा) ५७३४
पार्श्वजिन स्तुति, सं., श्लोक ४, पद्य, मूपू., (हर्षनतासुर) २६२६पार्श्वजिन लघुस्तवन, सं., श्लोक ५, पद्य, मूपू., (भजेश्वसेनन) १२(+, १४८५-२७+), १७९४-८+#), २९९७-११(45), १७९९-९(45), ५८२७-६३
५४९०-८, ५८२७-७, ६०११-३३, १७९१-२(१), १४८७-८(5), पार्श्वजिन लघुस्तवन-श्रृङ्गाटकबन्धमय, उपा. समयसुन्दर गणि, ५४८९-१५(5)
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