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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir कैलास श्रुतसागर सूची प्रकाशन की रूपरेखा इस सूचीपत्र में मुख्य तीन विभाग किए गए हैं. १ हस्तप्रत माहिती. २ कृति माहिती. ३ विद्वान- व्यक्ति माहिती. यद्यपि कम्प्यूटर में सभी तरह की सूचनाएँ विस्तृतरूप से भरी गई हैं एवं आगे भी उनमें परिष्कार, विस्तार जारी रखने का आयोजन है. प्रत्येक विभाग में मात्र तत्-तत् विभाग की सूचनाएँ शक्य विस्तार से देकर अन्य विभागों की सूचनाओं को आवश्यक हद तक संक्षेप में दिया जाएगा. इन संक्षिप्त सूचनाओं की विस्तृत माहिती के लिए संबद्ध विभाग के सूचीपत्र की अपेक्षा रहेगी. उपयोगिता एवं अनुकूलता के अनुसार उपरोक्त तीनों विभागों के सूचीपत्रों के प्रकाशन का आयोजन है. १. हस्तप्रत विभाग इस विभाग में महत्तम उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए कृति की प्रधानता के अनुसार निम्न वर्ग किए गए हैं. ये सूचियाँ यथोपलब्ध प्रत क्रमांक के अनुक्रम से होगी. १.१ जैन कृति वाली प्रते. १.२ धर्मेतर साहित्यिक आदि कृति वाली प्रतें. १.३ वैदिक कृति वाली प्रते. १.४ शेष धर्मों की कृति वाली प्रतें. इनमें प्रथम हस्तप्रत आधारित इस सूची में सूचनाएँ दो स्तरों पर दी गई हैं. प्रत माहिती स्तर : इस स्तर पर प्रत संबंधी उपलब्ध सूचनाएँ उपयोगिता एवं सूची पुस्तक के कद की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए विविध अनुच्छेदों में शक्य महत्तम विस्तार से दी गई हैं. कृति माहिती स्तर : इस द्वितीय स्तर पर प्रत में रही कृतियों का निर्णय करने हेतु आवश्यक लघुतम सूचना ही दी गई है. पुस्तक के कद को मर्यादित रखने के लिए भी यह आवश्यक था. कृति की शक्यतम विस्तृत माहिती तो द्वितीय कृति विभाग वाली सूची में दिए जाने का आयोजन है. १.५ हस्तप्रत विभाग के परिशिष्ट : इस वर्ग में हस्तप्रत विभागीय विविध परिशिष्टों का समावेश किया जाएगा. १.५.१ प्रत, पेटांक व कृति लेखनगत विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिकाओं का संग्रह. (देखें - प्रतिलेखन पुष्पिका परिचय) १.५.२ प्रतिलेखन वर्ष से प्रत क्रमांक : प्रत में उपलब्ध प्रतिलेखन वर्ष को वीरसंवत में बदलकर वर्ष के अनुक्रम से प्रत की माहिती इस सूची में दी जाएगी. विक्रम, शक, ईस्वी आदि अन्य वर्ष प्राप्त करने के लिए जरूरी वर्ष घटाने ो. प्रचलित संवतों में वीर संवत सब से प्राचीन होने से इसके आधार पर सभी तरह की सूचनाएँ एक ही अनुक्रम में आसानी से दी जा सकेगी. १.५.३ प्रतिलेखन स्थल से प्रत क्रमांक : हस्तप्रत जिस स्थल (नगर-गाँव) में लिखी गई हो वह नाम उपनाम, राज्य आदि अन्य आनुषंगिक उपलब्ध सूचनाओं के साथ यहाँ अकारादि क्रम से आएगा व प्रत्येक नाम के साथ उस नगर में लिखी गई प्रतों के क्रमांक व उपलब्ध प्रतिलेखन संवत - इतनी सूचनाएँ प्रतिलेखन संवत के अनुक्रम से आएगी. इससे विद्वानों को ऐतिहासिक अध्ययन हेतु सुगमता रहेगी. १.५.४ विद्वान/व्यक्ति (प्रतिलेखक आदि) नाम से प्रत माहिती : इस सूची में प्रत, पेटांक व कृति स्तर पर रही प्रतिलेखन पुष्पिकाओं में उल्लिखित हस्तप्रत को लिखने, लिखवानेवाले, पठनार्थ आदि विद्वान/व्यक्तियों का नाम अकारादि क्रम से आएगा. यह सूची द्विस्तरीय होगी. (१) विद्वान/व्यक्ति माहिती स्तर (२) प्रत माहिती स्तर. विद्वान/व्यक्ति माहिती स्तर पर विद्वान/व्यक्ति संबंधी आवश्यक लघुत्तम सूचना होगी एवं प्रत माहिती स्तर पर प्रतिलेखन वर्षानुक्रम से विद्वान व्यक्ति की प्रतिलेखक पठनार्थ आदि भूमिका, प्रतक्रमांक, पेटांक, कृतिक्रमांक], प्रतिलेखनवर्ष - ये सूचनाएँ आएगी. इससे विद्वान/ व्यक्ति के जीवन-कवन का अध्ययन करने में सुगमता रहेगी. 22 For Private And Personal Use Only
SR No.018024
Book TitleKailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2003
Total Pages615
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size5 MB
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