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उनके लिए श्रद्धा सुमन सहित आभार व्यक्त करते हैं. सूचिकरण अवधारणा को विकसित करने में तथा कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग के कार्य में ग्रंथालय विज्ञान की प्रचलित प्रणालियों के स्थान पर महत्तम उपयोगिता व सुझबूझ का उपयोग करने में तथा समय-समय पर सहयोगी बनने में यहाँ के पंडितजनों तथा प्रोग्रामरों ने अपनी शक्तियों का यथासंभव महत्तम उपयोग किया है. जिसके लिए संस्था सभी को हार्दिक धन्यवाद देती है.
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हस्तप्रत सूची के इस भाग को प्रस्तुत रूप देने में संस्था के सभी विभागों व खासकर ज्ञानमंदिर के श्री रसिकभाई शाह आदि सभी कार्यकर्ताओं का प्रशंसनीय सहयोग प्राप्त हुआ है जिसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं. सभी के मिले जुले समर्पित सहयोग के बिना यह विशालकाय कार्य संभव नहीं था.
संस्था में हस्तप्रत सूचीकरण व संलग्न अन्य विविध प्रवृत्तियों हेतु भारत व विदेश के श्रीसंघों, संस्थाओं व महानुभावों का आर्थिक सहयोग यदि नहीं मिल पाता तो यह कार्य आगे बढ़ाना मुश्किल था. समस्त चतुर्विध संघ तथा संस्था के सभी शुभेच्छुकों को इस अवसर पर धन्यवाद दिया जाता है.
कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची के इस प्रथम भाग के प्रकाशन में वित्तीय सहयोग प्रदान करने वाले श्री रमेशभाई चौथमलजी जैन नोवी निवासी के प्रति संस्था कृतज्ञता व्यक्त करती हैं.
साथ ही निम्नोक्त संस्था एवं महानुभावों का भी विशिष्ट सहयोग संस्था को सूचीकरण के इस कार्य हेतु मिला है :
जैन सेन्टर ओफ नॉर्दर्न केलिफोर्निया- अमेरिका, शेठ आणंदजी कल्याणजी धार्मिक धर्मादा ट्रस्ट, पालडी - अहमदाबाद, श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन बोर्डिंग अहमदाबाद, श्री शंभुकुमारजी कासलीवाल- मुंबई, शेठ मोतीशा जैन रिलिजीयस एन्ड चेरीटेबल ट्रस्ट भायखला - मुंबई, श्री सांताक्रुज तपागच्छ जैन संघ -मुंबई, फेडरेशन ओफ जैन एसोसीएसन इन नॉर्थ अमेरीका, "जैना" हस्ते डॉ. प्रेम गडा-अमेरीका, एम. जे. फाउन्डेशन - मुंबई, श्री कल्याण पार्श्वनाथ जैन संघ, चौपाटी - मुंबई आदि. आप सभी के उदार सहयोग हेतु हम आभारी हैं. अपेक्षा रखते हैं कि भविष्य में भी संस्था की विविध प्रवृत्तियों में आपका हार्दिक सहयोग मिलता रहेगा.
किसी भी प्रकार के सरकारी या इसी तरह के अन्य अनुदान को न लेकर मात्र समाज ही की ओर से मिलनेवाले आर्थिक आदि सहयोग के द्वारा ही कार्य करने की सुविचारित नीति के तहत कार्य करने के कारण यहाँ सम्पन्न हो रहे कार्यों की अपनी मर्यादाएँ हैं तो अपना एक गौरव एवं तोष भी ! श्रीसंघ के इस कार्य में देव - गुरु-धर्म की कृपा से हम कितने सफल हुए हैं, इसके लिए विशिष्ट गुरु भगवंतों एवं विश्वभर के विद्वानों ने यहाँ आकर यहाँ की व्यवस्था व उपलब्ध सामग्रियों को देखकर जो उद्गार व्यक्त किये हैं, उनका अवलोकन करना होगा. इससे भी ज्यादा तो आप यहाँ पधारिये और स्वयं यहाँ के कार्यों को देखिये. संस्था की विकास यात्रा में आप किस प्रकार से सहयोगी बन सकते हैं इन संभावनाओं को तलाशिए. वह आपके उत्कर्ष के लिए अनुपम अवसर होगा.
यहाँ संस्था में उपलब्ध संसाधनों, सूझ, विशेषज्ञता एवं सज्जता के आधार पर हो सकने की संभावना वाले कार्यों की सूची बृहदाकार है. अब इन संभावनाओं को साकार करना यह श्रीसंघ, समाज पर निर्भर है कि उनकी ओर से यहाँ तन-मन-धन से सहकार कितना मिल पाता है. आज तक सभी का यह सहकार संस्था को निरंतर मिलता रहा है व और बेहतरीन तरीके से आगे भी मिलना जारी रहेगा, ऐसा हमारा विश्वास है. इसी श्रद्धा के आधार पर यह ज्ञान-यज्ञ हम जारी रखे हुए हैं.
हमें विश्वास है कि श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र द्वारा आचार्य श्री कैलाससागरसूरि स्मृति ग्रंथसूची के इस प्रथम रत्न का समाज में स्वागत किया जाएगा.
अंत में श्री जिनशासन देव से यही प्रार्थना करते हैं कि श्रीसंघ व समाज द्वारा हमारी ओर रखी गई आशा और अपेक्षाओं को सही तौर पर पूर्ण करने में हम सदा सक्षम व प्रवृत्त रहें..
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ट्रस्टीगण
श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र ट्रस्ट
कोबा, गांधीनगर
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