________________
लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर पत्र भाषा विषय ग्रंथकार
प्रमाण
व्याकरण
व्याकरण
व्याकरण
कथा
४२७
कथा
कथा
मू. हरिभद्रसूरि
कथा
गा.८
५०-५१ गु. | ५६-५७
स्तुति स्तुति योग
| श्रीविजय |श्रीविजय भावविजय
गा..
.
२६५
| तत्त्वज्ञान गीत
भावविजय भाव विजय | कल्याणविजयशिष्य
ढा-११, ग्रं. १६३/
गा.
क्रम रजी. क्रमांक ग्रंथनाम २०९३/१५१७३ | धातुरुपावली २०९४ १५१८४ | धातुरुपावली २०९५/१५१८५ धातुरूपावली २०९६ १७४३८ धूर्ताख्यान पद्य २०९७/१७४३९ धूर्ताख्यान पद्य-बालावबोध २०९८ १७४१६ धूर्ताख्यान बालावबोध २०९९ १८२५८
धूर्ताख्यान बालावबोध २१०० १८३०३/३७ धूलेबा मंडन-ऋषभदेव स्तवन २१०१ १८३०३/४७ धूलेवा मंडन-ऋषभ जिन स्तवन २१०२ १७६६६ ध्यान स्वरुप निरुपण प्रबंध २१०३/१६६६७ ध्यानना भेद २१०४|१८९७० ध्यानस्वरूप स्वाध्याय २१०५ १५६७४ ध्यानस्वरूपनिरूपण २१०६ १५३१५/१ |नकलाइमंडन सुपार्श्वदेव स्तवन २१०७/१६११९ नक्षत्रशास्त्र (वाहनोसह) सचित्र २१०८ १६४१०/१ |नगुडी कल्प २१०९ १५९६२/१ नमस्कार २११० १८७२५ | नमस्कार बालावबोध २१११ १५३०१/३ नमस्कार सज्झाय २११२ १५८९७/१ नमस्कार स्तव
वृत्ति २११३/१५८९७/२ | नमस्कार स्तव-वृत्ति २११४|१८५०५ । नमस्कारोपरि कथाओ २११५ १७५१६ नमिऊण स्तोत्र (भयहर स्तोत्र)
स्तबक २११६/१५८८५ नमोत्थुणं
बालावबोध २११७/१६३६४ नमोत्थुणं
वृत्ति २११८ १६०६० नमोत्थुणं कल्प २११९/१६५५७ | नय स्वरूप
अध्यात्म स्तुति | खगोल वैद्यक स्तुति | उपदेश गीत स्तुति
गा. ४३
गा.१२
| विनयविजय | जिनकीर्तिसूरि स्वोपज्ञ स्वोपज्ञ
७-८
गा.३१
स्तुति कथा
स्तोत्र
गा. २३
स्तुति
गा.९
प्रा स्तुति
गा.९
स्तुति न्याय
२१२० १८८५७
नयचक्र
न्याय
१९००
| देवचंद्रजी देवचंद्रजी(खर.)
बालावबोध
176 For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org