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३६७३
१५९४०/१७
विमला चलस्तवन वंकचूलियाध्यध्यन
३८४७
१८०००
विमलाचलस्तवन वंकचूलियाध्ययन भर्तृहरि शत्रुजय
३८७७
१८६३४
३८७९
१५९४०/१६
मर्तुहरि शत्रुजंय वंहिता
४२३३
१७४६७
वंदित्ता
४३४१
१६४४२
रामवरतरण
समवसरण
४५४६
१६५११/१
४५७४
१५९४०/३
मृगुपुर सिद्धाचनस्तवन देवसू
भृगुपुर सिद्धाचलस्तवन देवसूरि
४६२८
१७८६८
(१) रजिक्रमांक १६९४३, अनुक्रम नं. ४९९३ में प्रमाण के कोष्ठक में ग्रंथकार का नाम और क्रम में प्रमाण
और रचनावर्ष के कोष्ठक में परिमाण लिखा है - स्थिति के कोष्ठक में लेखनवर्ष है। इसे यथास्थान पढने का अनुरोध हैं।
(२) रजिक्रमांक १७४६६/२, अनुक्रम नं. ५०१७ में परिमाण के कोष्ठक में क्रमांक लिखा है, रचनावर्ष के
कोष्ठक में परिमाण लिखा है, लेखन स्थल में लेखनवर्ष लिखा है - इसे सही ढंग से पढ़ने का अनुरोध
(३) कुछ स्थानों पर कॉम्प्युटर एन्ट्री के समय एक कॉलम की जानकारी दूसरे कॉलम में छपी हुई है उसे
यथास्थान पढने का अनुरोध है। जैसे:
लेखनस्थल में जो जानकारी है उसे स्थितिसंबंधी कोष्ठक में पढने का अनुरोध है। परिमाण के कोष्ठक में क्रमांक लिखा है, रचनावर्ष में परिमाण लिखा है उसे भी
यथास्थान पढने का अनुरोध है। (४) कुछ स्थानों पर कॉम्प्युटर एन्ट्री के समय दो शब्दों में जगह छट जाने से ग्रंथनाम में अनकम ठीकसे नहीं आ
सका है। विद्वानों को यह ध्यान में रखने का अनुरोध हैं।
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