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Catalogue of Sanskrit & Prakrit Manuscripts Pt. IV (Appendix) (371
गणिसंयुक्तिोऽन्जजादिस्तुत: भक्ताभीष्टप्रदो रमैकरमणो वेदेकगम्यो हि यस्तं वन्दे मनसा गिरा च शिरसा गोपीप्रियं श्री हरिम् ॥१॥
xx श्री निवासमाचार्य गुरु श्री गंगला मिधम् । प्रणभ्य क्रियते गीता व्याख्या तत्व प्रकाशिकाम् ॥५॥ ___ सत्पाद चिन्ता प्रति बुद्ध बुद्धिना भट्ट न श्री केशवसंज्ञकेन ॥ तदर्थ वोधाय तदाश्रितानां संक्षिप्य चैतद्विवृतं सुबोधम् ॥७॥ इति श्री केशवभट्ट विरचितायां श्र भगवद्गीता टीकायां तत्त्व प्रकाशिकायां सर्व गीतार्थ निर्णयो नामाष्टादशोऽयायः ॥१८॥ मङ्गलं श्री रमाकान्त: सच्चिदानन्द विग्रहः मङ्गल नियमानदो ज्ञान भक्तिप्रदो नृणां ।।१६॥
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333 भगवद्गीता परमानन्द प्रबोधटीकोपेता
॥ श्रीगणेशाय नमः॥ अथ श्री भगवद्गीता भाषा टीका दोहा आनन्दरामकृत परमानन्द प्रबोध लिख्यते । हरि गौरीश गनेश गुरु प्रनवों सीस नवाय। गीता भाषारथ करो दोहा सहित नवाय ।
धृतराष्ट्र उवाच श्लोक धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ॥ मामका पाण्डवाश्चैव किम कुर्वत संजय ॥१॥ टीका-धृतराष्ट्र पूछत है । संजय सौं कि हे संजय धर्म को क्षेत्र... जु है कुरुक्षेत्र ता विष एकत्र भये हैं अरु जुद्ध की इच्छा धरत है । ऐसे जे मेरे अरु पंडु के पुत्र ते कहा करत भये ।।१।।
दोहा-जोगीश्वर श्रीकृष्ण जू अर्जुन है जाठोर ।। तहाँ विजय अरु नीति है, राज संपदा और।।
इति श्री भगवद्गीता सूपनिषत्सु...."कृष्णार्जुन संवादे....."षा टीकायां आनन्दराम परमानन्द प्रबोधे मोक्षसन्यास योगोनाम अष्टादशोऽध्याय । श्री राम राम राम राम राम राम राम शुभं भवतु । कल्याणमस्तु ।
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347 भववद्गीता एवं स्तोत्रादि
॥ श्रीकृष्णाय नमः ॥ ॐ अस्य श्रीभगवद्गीतामालामन्त्रस्य श्री भगवन्वेदव्यास ऋषिः रनुष्टुप् छदः । श्रीकृष्णपरमात्मा देवता । अशोच्यानन्वशोचस्त्वं प्रज्ञावारांश्च भाषसेति बीजम् ।। सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रजेति शक्तिः ॥ अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि माशुच । ॥ इतिकीलकं ॥
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक ।
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