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ग्रंथाका
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जीर्ण ..........
जिनभद्रसूरि कामळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग प्रथन नाम | स्थिति |
| भाषा संवत् । पत्र संख्या झेरोक्षसी .डीग्रंथान विशेष नोंध सन्मतितर्कप्रकरण तत्वबोध ........... जीर्ण ...मू.सिद्धसेन दिवाकर, ..प्रा.सं............ १४८७/१२६(१६३३-१७५७)/........५८+५९..२३१/.. १२८३८ विधायिनीवृत्ति सह प्रथम खंड ................ अभयदेव आचार्य वृ.
तर्कपंचानन सन्मतितर्कप्रकरण...................... मध्यम ..मू.सिद्धसेन दिवाकर, ...प्रा.सं.....................९६(१७५८-१८५३) ........५८+ ५९.२३१-- १२१६२ तत्त्वबोधविधायिनीवृत्तिसह .. " सतह ..............
अभयदेव आचार्य -वृ. द्वितीय खंड .........
तर्कपंचानन ज्योतिष्करंडकप्रकीर्णक वृत्तिसह .. जीर्ण... मलयगिरि आचार्य -वृ..प्रा.सं............ १४८८.५३(१८५४-१९०८) आचारांगसूत्रघूर्णी ..... मध्यम ...
प्रा.. ... १४८८-८३(१९०९-१९९१) ...............६१...२३१ सूत्रकृतांगसूत्रपूर्णी .... जीर्ण....
..९८(१९९२-२०८९) ..६२...२३१ कल्पविशेषचूर्णी ......
जीर्ण .....
.प्रा..
१०४(२०९०-२१९८) ........६३ +६४...२३२ .. ११००० । सूर्यप्रज्ञप्तिउपांगसूत्र ...
............२५(२१९९-२२३३),........६३ + ६४ ...२५८ सूर्यप्रज्ञप्तिउपांगसूत्रवृत्ति ..... मध्यम ..मलयगिरि आचार्य ...... ......... १४८९.९३(२२३४-२३३३)
..२३२....९५०० अन्तनां वे पत्र अति जीर्ण छे. दर्शनसप्ततिकाप्रकरणवृत्ति ........ श्रेष्ठ .... संघतिलकसूरि वृ........ ...................५७(२९३-३४९) ...............६६ ...२३२ न्यायभाष्य टिप्पणीसह .. जीर्ण ... वात्स्यायनमुनि............
..५७ न्यायवार्तिक टिप्पणीसह .............
..................१४२(५८-२००)...............६८ ...२३३ न्यायवार्तिकतात्पर्यवृत्ति टिप्पणीसह ....जीर्ण .... वाचस्पति मिश्र.......
....२०१(२०१-४०१)
अंतिम पत्रनो टूकडो छे. न्यायतात्पर्यपरिशुद्धि टिप्पणीसह .......जीर्ण .... उदयनाचार्य ...........
१६५(४०२-५६६) .........७०
.... पत्र ५४०, ५४९ मुं नथी. न्यायटिप्पनक श्रीकंठीय .............. जीर्ण... श्रीकंठ ................
..४९(५६७-६१५) पंचप्रस्थान न्यायमहातर्कविषमपदव्याख्या .जीर्ण ... अभयतिलकगणि...........
२०६(६१६-८२१) ..............७२ - २३४ न्यायालंकार न्यायवार्तिकभाष्यवृत्तिविवरण ........... जीर्ण ... अनिरुद्ध पंडित ........... सं.
२६(८८२-८७) ७४ ......... नवतत्वप्रकरण भाष्यवृत्तियुक्त ........... अतिजीर्ण देवगुप्तसूरि -मू.. ....... प्रा.सं.र.११७४-ले.१४९९ ..........
............२३४....२४००/- प्रति अस्तव्यस्त अने खवाएली छे. अभयदेवसूरि -भा.,
यशोदेवसूरि -यू. . धर्मसंग्रहणिप्रकरण वृत्तिसह ............ अतिजीर्ण हरिभद्र आचार्य -मू.. ..प्रा.सं...
......७५.२५८............ प्रति अस्तव्यस्य अने खवाएली छे मलयगिरि आचार्य वृ. | सिद्धहेमशब्दानुशासनलघुवृत्ति पष्ठाध्यायपर्यंत ..
मध्यम.. हेमचन्द्राचार्य ...सं.
........... पत्र ५१ थी ६७ उंदरे करडेला छे
जीर्ण... भारद्वाजमुनि
.........७०
00+७१.२३४
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