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________________ भडार नाम संवत् भंडार ग्रंथांक सपए संस्था R ..............१८७ ......१-५८ ........... ग्रंथांक ग्रंथतुं नाम कर्ता संख्या। नाम जि.का. १६९९ दशवैकालिकसूत्र सस्तबक ........ शव्यंभवसूरि .. जि.का १४६९ जि.का., १४८६ दशवकालिकसत्र सस्तबक अपूर्ण त.का. ६०४ दशवकालिकसूत्र सह अवधूरि .... ४६ लों.का.९७ दशकालिकसूत्र सह अवचूरि ... शांतिदेव ..... त्रूटक था.का.७६ लो.का.९८ दशवैकालिकसूत्र सह टब्बार्थ ..... लो.का. ६५३ दशवैकालिकसूत्र सह टब्बार्थ ... ....१-६. जि.का ५४० था.का ८६ त.का. १२४८ दशवकालिकसूत्र सह टब्बार्थ वृत्ति था.का, २५ डूं.का. ११७३ दशवैकालिकसूत्र सह टब्बार्थ .... .................१६५७ ८३/२ त.का. |१२०४ दशवकालिकसूत्र सह बालावदोष २७०/४ लो.का.९५ दशवकालिकसूत्र सह वृत्ति ....... सुमतिसूरि .... १६६७ २७०/५ डूं.का.|१११७ दशवैकालिकसूत्र सहावचूरी....... गंगादास. ...................१६४३ जि.का.,५३६ दशवकालिकसूत्र सावरिक. जि.का/१८८४ पंचपाठ त.का. ६०६ दशकालिकसूत्र सह बालावबोध ४४| डूं.का. १२८१ जि.ता/४१०/१ ० दशवैकालिकसूत्रचूर्णि ............ स्थविर अगस्त्यसिंहसूरि १८४ था.का ३६८ जि.का ९५ ० दशवकालिकसूत्रधूणी ............ ..................१९८३ -......१५३| डूं.का. ४२० जि.का २२३६ | दशवैकालिकसूत्रनां गीतो आदि .६ जि.ता.६१/४ जि.का १३००/१ ० दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी १-२१ जि.ता.६१/३ जि.का ४५ दशकालिकसूत्रबृहदवृत्ति ...... हरिभद्रसूरि आचार्य ..........१४८७ /७२(५७२ ६४३) लों.का ७६ जि.का २१७६ दशवकालिकसूत्रलघुवृत्ति ....... सुमतिसूरि .४८ जि.का १०११ जि.का १९४६ ० दशवकालिकसूत्रलपुवृत्ति .....-शय्यंभवसूरि-मू............ कसुमतिसूरि जि.ता.४१/२ जि.ता.८३/१ ० दशवैकालिकसूत्रवृत्ति ........... जि.ता.८४/२ ० दशवकालिकसूत्रवृत्ति .... हरिभद्र आचार्य १०६-२१२ जि.का २७४ जि.ता.८५/१ ० दशवैकालिकसूत्रवृत्ति ............ हरिभद्र आचार्य ... १-१७३| जि.का ९३/२ १८८८ सर्व ग्रंथोंका अकारादिक्रम - परिशिष्ट १ - ३९७ ग्रंथनुं नाम | कर्ता | संवत् । पत्र ० दशवकालिकसूत्रवृत्ति ............ हरिभद्रसूरि-वृ........ ..........१२५ दशवकालिकसूत्रपूर्णि. .. १८८ ० दशकालिकसूत्रचूर्णी, ...........१४८८.७५(६४४ ७१७) दशवकालिकसूत्रवृत्ति दशवैकालिकसूत्रवृत्ति दशवकालिकसूत्र ...... शय्यंभवसूरि दशवैकालिकसूत्र.. शय्यंभवसूरि ...... ० दशबैकालिकसूत्र ...... शय्यंभवसूरि दशवैकालिकसूत्रनियुक्ति भद्रबाहुस्वामी ................१२८९/२०३-२२१ ० दशश्रावकचरित्र गाथावद्ध ... पूर्णभद्र ..................... ...१२७५/३४८-३७८ दशश्रावकचरित्रचूर्णि. पूर्णभद्र .......................१३०९ | ३७८-३८४ दशाकोष्ठक ज्योतिष दशाकोष्ठकज्योतिष ............ दशाफलम् ....... दशार्णभद्र चौढालियादि सजाय दशार्णभद्रऋद्धि. दशार्णभद्रऋषि सज्झाय .... दशा तस्कंघसूत्र ................ | भद्रबाहुस्वामी ................१४९० २२५-२८० ० दशाभुतस्कंध चूर्णी १६१-२२५ दशाभुतस्कंध मूल .............. भद्रबाहु ............... .१-२९ दशाभुतस्कंध मूल सहवाचना ..भद्रबाहु .......................१६७४ |... १५-४० दशाश्रुतस्कंध सस्तबक .......१८३६ ... ५२ • दशाश्रुतस्कंधनियुक्ति ..... भद्रबाहुस्वामी ... ९२-९६ ० दशाश्रुतस्कंधसूत्र भद्रबाहुस्वामी ५०-९२ दशाश्रुतस्कंधसूत्र ........ भद्रबाहुस्वामी 1... ४१-७४ दशाश्रुतस्कंधसूत्र .. भद्रबाहुस्वामी ० दशाभुतस्कंधसूत्रचूर्णी .... १९८२ .....४-४१ .......... १०४ Twr हरिभद्रसूरि ... ...........१२८९-... १-२०२/ ..... Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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