________________
नक
संवत | पत्र संख्या । .......... १५२६ ........... २२८
तपागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - श्री सुपार्श्वनाथ जैन मंदिर - जैसलमेर
झेरोक्षसी .डी. ग्रंथान _ विशेष नोंध ..............२८ -२४६
................२४६ ......१७५०/...............२४६ ....... १६६७/..
....५५३४.. ... १८२००/.. १५४८५
............
भा.
-
..१८८०
१७९० १९०८
ग्रंथ नाम
भाषा सुपार्श्वनाथचरित्र .......
........... ..प्रा. समवायांगसूत्र.......
सुधर्मा गणधर ............मा. समवायांगसूत्र ...............
सुधमा गणधर ............मा. ज्ञातासूत्र
सुधर्मा गणधर झातासूत्र टब्बा ................... धनजी खरतरगच्छीय ...... मा. ज्ञातासूत्र
सुधर्मा गणधर ......... अन्तकृदशांगसूत्र ............
सुधर्मा गणधर ......... अन्तकृदशांगसूत्र ................. सुधर्मा गणधर .......... अन्तकृशांगसूत्र ................ सुधर्मा गणधर ....... अन्तकृशांगसूत्र .................. सुधर्मा गणधर ...... अन्तकृशांगसूत्र .................. सुधर्मा गणधर ........ अन्तकृद्दशांगसूत्र ................. सुधर्मा गणधर ...... अनुत्तरीपपातिकसूत्र टब्बा ............ सुधर्मा गणधर .. अन्तकृशांगसूत्र
सुधर्मा गणधर सूत्रकृतांगवृत्ति
अभयदेवसूरी अनुतरौपपातिकदशांगसूत्र सह टल्बार्थ ... सुधर्मागणधर अनुत्तरोपपातिकदशांगसूत्र
सुधर्मागणधर... प्रश्नय्याकरणसूत्र.
सुधर्मागणधर... प्रश्नव्याकरणसूत्र....
सुधर्मागणधर... प्रश्नव्याकरणसूत्र....
सुधर्मागणधर... प्रश्नव्याकरणसूत्र सह बालावबोध...... पार्श्वचंद्रसूरि सूहविवाग ...............
जिनहर्ष .... विपाकसूत्र...............
लक्ष्मणमुनि . विपाकसूत्रवृत्ति ................. अभयदेवसूरि. विपाकसूत्र सह टब्दार्थ .............. पार्श्वचंद्रसूरि प्रश्नव्याकरणसूत्र सह टब्बार्थ
पार्चचंद्रसूरि प्रश्नव्याकरणवृत्ति
अभयदेवसूरि.
AA
........४२+४८+५०...२४७
.........
४९००/- प्रथम पृष्ठ नथी
Jain Education International
For Private & Personal use only
www.jainelibrary.org