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लोकागच्छ कागळनो हस्तलिखित ग्रंथभंडार - जैसलमेर दुर्ग सी.डी. ग्रंथान
विशेष नोंध
कता
संवत्
डोरोक्ष
। पत्र संख्या
१-८१ ......१-१२४
.....
२४० |ग्रंथांक - ग्रंथन नाम
भाषा २४० ..... प्रक्रियाकौमुदी व्याकरण
रामचन्द्र २४१ प्रक्रियाकौमुदी व्याकरण
रामचन्द्र २४२..... प्रक्रियाकौमुदी व्याकरण
रामचन्द्र गणितसार
श्रीधर ज्योतिषरत्नमाला सह बालावबोध ..... रघुवंश बेटक ........
कालिदास ...... साररवतव्याकरण Jटक .................. अनुभूति स्वरूपाचार्य ...
... १६८९
....... १७९
........१३२..२४२...३२०
..१-८
4444444
१८५७
......१-५६
.....१-४ .........१-४५.१.१७
4..१८, २१, २२, २८, ३६, ३८, ३९, ४२ नर्थी ...............२८८ नंबरनो ग्रंथ आनी साथे भेगो राखेल छ
.........१-८
....१.४५
१-६७ ....२-१६०
२५०....
१८८४
२४७..... केशव वाक ज्योतिष सह टब्बार्थ, २४८..... सारस्वतव्याकरण त्रूटक .................. अनुभूतिस्वरूपाचार्य....... २४९ ..... सारस्वतव्याकरण ........................ अनुभुतिस्वरूपाचार्य.......
राजामृगांकसारणी त्रूटक ............ २५१/१ . मुहूर्तमुक्तावली ...... २५१/२ ..ग्रहभावफल ..... २५१/३ ..चंद्रार्की आदि सारणिओ ........ २५१/४ .. भ्रमणसूत्र सह सारणि.. २५२.... संग्रहणीसूत्र त्रूटक ........................ मलधारि हेमचंद्रसूरि शि, मा. २५३..... भर्तृहरिनीति व श्रृंगार शतक .............--... २५४ ..... उपदेशरत्नकोष .....
चउसरण सह बालावबोध...................... पिंडविशुद्धि अवचूरि........................ हितोपदेश भाषा त्रूटक ....................नारायण........... सारस्वत त्रूटक........................... अनुभूतिस्वरूप ........ स्यादिशब्दसमुच्चय......
अमरचन्द्र सारस्वतय्याकरण (टव्यो) Jटक ......... अनुभूतिस्वरूप .... मेघदूत ......
कालिदास सिंदूरपकर त्रूटक ... २६३ .. सूक्तिमुक्तावली बेटक
... १४ ......... १७८० .......... १-२९
.........१-१९ ................ १-१७
................१.३
...........१-९ .........१-४१
..........१-२८
२६०....
..२.१८
२६१.....
..१-६ १-१२
२६२...
२-१३
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