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________________ जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग झेरोक्ष सी.डी. ग्रंधान विशेष नाँच ...७१ ...१६८९ -.२८५.. १०००० "....५२ १६९१ - ३३०.. १६००० प्रति पाणीथी भीजाएली छे प.सं.गु ...१६९३ १६९३ १३२ ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति भाषाा संबत पत्र संख्या १६८३ .....-नवतत्त्वप्रकरण सावचूरिक .............. मध्य म........................ प्रा.सं....... १६८४ ......गीत सज्झायादि ................... मध्य म ............................ १६८५ .......पर्युषणाष्टाहिकाव्याख्यान ............. श्रेष्ठ....क्षमाकल्याण .......... सं.र.१८६०,ले.१८८२ १६८६ ......आत्मप्रबोध बीजकसह ............. श्रेष्ठ .....जिनलाभसूरि ...... .र. १८३३ १६८७ ...... वर्धमानदेशना गद्य ................. मध्यम ..राजकीर्ति +........... १८६५ १६८८ ......श्रीचंद्रीयासंग्रहणी अपूर्ण ............ श्रेष्ठ ............. १६८९ ......समरादित्यचरित्र संस्कृतणयासह ..... मध्यम .. हरिभद्रसूरि मू......... .३०१ १६९०.... सप्तव्यसनकथानक पद्य अपूर्ण .... मध्यम ...सोमकीर्ति. १६९१ .... प्रज्ञापनोपांगसूत्रटीका ............. जीर्ण ... मलयगिरि आचार्य -टी. 1. सं.-........... १७८२-...........३६-३५२ १६९२ .... पाक्षिकसूत्र.......................... मध्यम ....... .........................८ १६९३ ..... स्मरणस्तोत्रादि सार्थ कल्प सह ...... मध्यम ... .......... १८२९ .................२१ १६९३/१....जांगुलीमहाविद्याकल्प.............. मध्यम ... ..............१ १६९३/२.... सर्वरोगहरस्तोत्र ................... मध्यम ... १६९३/३ .....ज्वालामालिनीमंत्र ................. १६९३/४ ..... उवसग्गहरंस्तोत्र ..................... मध्यम ... १६९३/५..... सप्ततिशतजिनस्तोत्र ........... मध्यम १६९३/६ .... भयहरस्तोत्र ............ मध्यम ४-७ १६९३/७.....अजितशांतिस्तोत्र ...... मध्यम ७-१४ १६९३/९ ... बृहत्शांतिस्तोत्र ................ मध्यम. १४-१५ १६९३/९ .... लघुशांतिस्तोत्र ................. मध्यम.. १५-१७ १६९३/१०. संतिकर ............... मध्यम... ................ १७-१९ १६९३/११. भैरवपदमावतीकल्प ...... मध्य म...................... +............१९-२० १६९३/१२.अवकहडाचक्र ...... मध्यम ........... .................२१ १६९४ ..... रत्नाकरपच्चीसी सस्तबक .... मध्यम ... |१६९५ ..... अजितशांतिस्तव .... मध्यम ..नंदिघेण.. १६९६ .....- भक्तामरस्तोत्र ...... जीर्ण ... मानतुंगसूरि ......... १६९७ ...... घोडशकप्रकरणटीका .... श्रेष्ठ .....यशोभद्रसूरि -टी......... |१६९८ ..... योगशास्त्रटीका .... ...मध्यम .. हेमचंद्राचार्य स्वोपज्ञटीका सं. मध्यम ... ....१६९३ ...१६९३ ........गा.४० ..........का., किनारी संदरे करडेली छे. १६९७ - २८५ Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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