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________________ पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथाग्न विशेष नोंध .............. २५ : ..................मू.गा.१६१|| ............. वैद्यक विषयक ...गा.४७ मू.गा.२७ गा.५४ गा.३४, .....--. गा.१४ ५६२.... .............. . १७७७ जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग | ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति कर्ता भाषा संवत् ५५६ ......... षष्टिशतप्रकरण बालावबोधसह ................... नेमिचन्द्र भंडारी -भू.. ....... मध्यम ... सोमसुंदरसूरि बा. ..... प्रा.गु............ १४९६ ५५७ ........ समुद्रप्रकाशविद्याविलासचोपाई ......... मध्यम ... जिनभद्रसूरि ............ ५५८........ नवतत्त्वप्रकरण..... ........ मध्यम ... ५५९........ नवतत्त्वप्रकरण सस्तबक पंचपाठ.......श्रेष्ठ ...... ५६०/१..... नवतत्त्वप्रकरण ५६०/२ ... उपदेशमालागाथासज्झाय............. ५६०/३ ... तिजयपहुत्तस्तोत्र.................... श्रेष्ठ...... सारस्वतव्याकरण ................... श्रेष्ठ ..... अनुभूतिस्वरूपाचार्य ... उल्लंठवचननिर्लोठनचोपाई ............ मध्यम... तर्कभाषा जीर्णप्राय केशवमिश्र सारस्वतमंडन .......................... जीर्णप्राय मंडन........ उपदेशमालाप्रकरण .................. जीर्णप्राय धर्मदासगणि ... १५६८ उपदेशमालाप्रकरण .................... श्रेष्ठ.....धर्मदासगणि. विदग्धमुखमंडनविषमपदव्याख्या अपूर्ण .मध्यम .... अष्टोत्तरशतपार्श्वनाथनामस्तय ..........श्रेष्ठ .... जिनभद्रसूरि आदिनाथधवल ..................... मध्यम.. .. १५४५ रामतियालाप्रबंध वज्रस्वामीनां फुलडाँ .. मध्यम .. साधुवंदना अपूर्ण कुंयरिश्राविकाबारव्रतनियम ......... शत्रुजयरास ..... कर्पटहेटकपार्धनाथरास .......... श्रेष्ठ..... दयारल... १६९४ रत्नाकरावतारिका अपूर्ण ......... तर्कभाषा ............... श्रेष्ठ ...... केशवमिश्र कर्मविपाककर्मग्रंथ अपूर्ण जीर्णप्राय देवेन्द्रसूरि. ज्ञानपंचमीकथा ........ जीर्णप्राय कनककुशल. .......र. १६५५ वाग्भटालंकार सावचूरि पंचपाठ .... मध्यम ... वाग्भट मू........ दंडकबोलविचार ....... ..........१७३१ ....५६२ .......... गा.७६ ... ५६२ ....५६२ ....५६२ थी ६५......... गा.५४३ ..... गा.५४३ ...... ५६७ + ६८ ......५६७ + ६८ ............का.१५ .................कडी २४ कडी १८ श्रेष्ठ ..... ...... ५७५+७६ ५७५+७६ ५७७ + ७८ ५७७+७८ ............५७९ Jain Education International For Private &Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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