SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 121
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पत्र संख्या झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोंध ............४२९ ...२७०..........! पत्र ८, १२ थी १५ नथी ............ ....... प्रति पाणीमां भीजाएली छे ..गा.१५८१, जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक पंधन नाम स्थिति कर्ता भाषा संवत् ४२९......... भगवतीसूत्र सटीक त्रिपाठ .............११मा शतक पर्यंत .. ................. मध्यम ... सुधर्मास्वामी -मू.. ...... प्रा.सं. ............ अभयदेवसूरि -टी. ४३०......... सिद्धांतविचाररास.. ............... ४३१......... हरिबलरास ............................ ..श्रेष्ठ ..... जिनसमुद्रसूरि वेगडगच्छीय ..... ......... सिंहासनबत्रीसी.................... श्रेष्ठ ..... संघविजय ....... गुज.र.१३७८-ले.१६७८ सारस्वतव्याकरणचंद्रकीर्तिटीका पूर्वार्द्ध जीर्णप्राय चंद्रकीर्तिसूरि प्रक्रियाकौमुदी श्रेष्ठ ..... रामचंद्राचार्य ....... १७१७ पद्मकोश .............. ........ मध्यम ....... ............ १६९३ सारस्वतव्याकरणचंद्रकीर्तिटीका ........श्रेष्ठ ..... चंद्रकीर्तिसूरि ........ वसंतराजशास्त्र सटीक .................. श्रेष्ठ...... वसंतराज -मू.......... ............ भानुचंद्र -टी. ४३८....... परिशिष्टपर्व अपूर्ण ................. श्रेष्ठ ..... हेमचंद्रसूरि ............. ४३९........ भरहेसर वृत्तिसह त्रूटक अपूर्ण .......... मध्यम ... शुभशीलगणि -....... ४४०........ उत्तराध्ययनसूत्र सस्तबक ............... अतिजीर्ण...... |........... १७६७ ७८-१२० नथी ......७१०० केटलाक पत्रो उंदरे करडेला छे १०१ /.....४३७+ ४३८...२७०....३७५०३. २२, २७.५७ नथी ४३७ ........ .....४३७+ ४३८. ................. पत्र ८९ थी १०५, ११३ थी १२२ नथी प्रतिना बों मळीने फक्त ५० पानां ये ४४१......... प्रश्नव्याकरणदशांगसूत्रटीका .......... श्रेष्ठ ..... अभयदेवसूरि ...... ४४२.......... बोलविचार ........................... -मध्यम ............................ ४४१............४६३०, पत्र १-२, ११ थी ३० नथी प्रतिना | .. केटलाक पाना उंदरे करडेला छे ................ प्रति चोंटी जवाथी अक्षरो उखडी गया छे .....४४३ +18..२७०....२७२८, पत्र २४ थी ३५ नथी. ८८......४४३, ४४४.............३६०० ४४३.........वंदारुवृत्ति दशवैकालिकसूत्र सटीक. ४४..... ४५....... उपदेशमालाप्रकरण सस्तबक ....... अभिधानरत्नमाला ................ नंदीसूत्रवृत्ति. |४४८........सारस्वतव्याकरणभाष्य मध्यम ... देवेन्द्रसूरि ................ सं. श्रेष्ठ ..... शय्यंभवसरि -मू.......... सं. .........- सुमतिसरि -वृ. श्रेष्ठ .....धर्मदासगणि ............ श्रेष्ठ.....हलायुध भट्ट ........... सं............. १४५४ श्रेष्ठ .....मलयगिरिसूरि ........... सं..........१६२७-२९ श्रेष्ठ ..... काशीनाथ ............... .स.............१७०९ ४०४६ ...२७० ४४७..२७०....७७३२ ४४८ .............३२०१ प्रति पाणीमां भींजाएली छे ..११० ain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy