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३७५...
प्रा. गू
३०६ ....
१९८३
जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम स्थिति
भाषा संवत । पत्र संख्या ___ झेरोक्ष सी.डी. ग्रंथान विशेष नोध ३७३.. कल्पसूत्र बालावबोधसह अपूर्ण .........श्रेष्ठ...........
............२-१८१ ...... ३७३ ३७४.. शीलोपदेशमालाप्रकरण बालावबोधसह मध्यम ..
प्रा. गू ........... १५७८ ................१५३ ...... ३७४ ...........६२५० ज्ञाताधर्मकथांगसूत्र जीर्ण ....
--.-......... १२५-२४८ ...... ३७५ सस्तबक जूटक अपूर्ण .. कल्पसूत्र किरणावलिटीकासह त्रिपाठ श्रेष्ठ .... भद्रबाहुस्वामी -मू.. ...... प्रा. सं ........ र. १६२८ ................२०१ ३७६ .२६९/
धर्मसागरोपाध्याय -टी. रघुवंशमहाकाव्यवृत्ति ...... श्रेष्ठ.... चारित्रवर्धन ...........
३७७ ...२६९....८००० सामाचारीशतक बीजकसह ...
समयसुंदरोपाध्याय .......
१९८३ वक्रोक्तिजीवित अपूर्ण
कुत्तक महाकवि............
१९८४
... ३७९ जयदेवछंदःशास्त्र वृत्तिसह
जयदेव -मू.. हर्षट -वृ.... जयदेवछंदाशास्त्र
.... जयदेव कइसिट्ठछंदाशास्त्र ...........
१९८३ ज्योतिष्करंडकप्रकीर्णक वृत्तिसह ..... मलयगिरि आचार्य -वृ.
१९८३
३८३ नंदिसूत्रलघुवृत्तिदुर्गपदप्रयोध ......... | श्रीचंद्रसूरि .........
.........३३००. प्रथम पत्र नथी. योगशास्त्र आद्यप्रकाशचतुष्टय........ जीर्णप्राय हेमचन्द्रसूरि ............
......... पत्र २-३ नथी बज्जालग ............ मध्यम ..
...२६९ सूक्तसंग्रह-सम्यक्त्वकौमुदीकथागत ..... श्रेष्ठ ........... सप्तस्मरण-खरतरगच्छीय............ श्रेष्ठ......
१५४७ दुरियरयसमीर महावीरचरित्रस्तोत्र .... मध्यम ... जिनवल्लभगणि ... प्रवचनसारोद्धार अपूर्ण.
मध्यम ... नेमिचन्द्रसूरि ..... . धनपालपंचाशिका सावचूरि पंचपाठ... मध्यम .. धनपाल मू....... ३९२...... जिनशतकमहाकाव्यं...... जीर्णप्राय जंबूकवि..........
................. ३९१ थी ३९३ ३९३ ........ मलयसुंदरीचरित्र पद्य (अपूर्ण) ........ जीर्णप्राय जयतिलकसूरि .......... आगमिक
..............३०... ३९१ थी -.२६९/........... प्रति उंदरे करडेली छे ३९४ .......! उपदेशमाला हेयोपादेयावृत्तिसह ........ सारी ... धर्मदास गणि -मू.. .....प्रा. सं
..........३-१३५ | सिद्धर्षि -वृ.
श्रेष्ठ .....
에 대해 ...... 매 매매 매매 매매
9489
पण...............
... ३२१
...............
............ ३९४
३९५.........कातंत्रव्याकरणदौर्गसिंहीवृत्ति
तद्वितपर्यंत टिप्पणीसह पंचपाठ ...... मध्यम ...
स.............१५५२
.....३९५
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