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________________ । स्थिति ३२१..... अार............... ३२३/२.. ३२३.. --000-4..गा.४१ १६५७ जिनभद्रसूरि कागळनो हस्तलिखित ग्रंथ भंडार - जैसलमेर दुर्ग ग्रंथांक ग्रंथर्नु नाम कता भाषा संबत पत्र संख्या 1ोरोक्ष सी. डीग्रंथाना विशेष नोंध ३२०...... दर्शनसप्ततिकाप्रकरण .................श्रेष्ठ................................. .................३ .. ३१९ थी ३२१ ............ गा.७० ... कर्मग्रंथपंचक ............ श्रेष्ठ..... देवेन्द्रसूरि ............... ................ १२..३१९ थी ३२१ ................. पत्र ११ मुं नथी. ३२२..... कर्मस्तव द्वितीय कर्मग्रंथ.. ............. मध्यम ... देवेन्द्रसूरि ............३२२ ...........गा.३५ ३२३/१ ...... पष्टिशतप्रकरण सावचूरि ............... मध्यम ... नेमिचंद्र भंडारी -मू.....प्रा.सं ..........१-१५ ............३२३ .................... गजसार -अ. नवतत्त्वप्रकरण सावचूरि ................ मध्यम ........ ..................प्रा.सं. १५-२६ ............ चतुर्थ पंचम कर्मग्रंथ श्रेष्ठ ..... देवेन्द्रसूरि ................. प्रा.. ....... १८.....३२४ + ३२५ .......... गा.१८६ पत्र १ थी ५ नथी. काव्यकल्पलता कविशिक्षावृत्तिसह अपूर्ण मध्यम ... अमरचंद्रसूरि स्योपच ...... सं. ! ४८..... ३२४ + ३२५ .................... पत्र २६, ३९ नथी. लघुसंघपट्टकमकरण ..................मध्यम ...जिनवल्लभसूरि ...... ..२ .....३२६ + ३२७...........का.४० पुष्पमालाप्रकरण ........................श्रेष्ठ .....मलधारी हेमचंद्रसूरि ...... प्रा.............. १६८५ .......... २९ .....३२६ + ३२७ .......... गा.५०८ कर्मविपाककर्मग्रंथ सावचूरि .............मध्यम ... देवेन्द्रसूरि मू............ प्रा.गु .............६ .....३२८ + ३२९ संदेहदोलावलीप्रकरण संस्कृतस्तबक सहमध्यम ... जिनदत्तसूरि मू......... .............. १०.....३२८+ ३२९ ...२६९ मू.गा.१५० ३३०/१ उपदेशमालाप्रकरण ...... धर्मदासगणि ....... .१.१९ ......गा.५४३ ३३०/२ ...... चैत्यवंदनाविधिप्रकरण ................ ............ २०-२२ ................. गा.३५ ३३०/३..... नवतत्त्वप्रकरण २२-२३ ... गा.२७, ३३०/४ .. विवेकमंजरीप्रकरण................... ........... आसड ............. ..........र.१२४८............. २३.२८ गा.१४४, जंबूद्वीपक्षेत्रसमासप्रकरण ............... जीर्णप्रायः २९.३३ गा.१०९ संग्रहणीप्रकरण अपूर्ण -मध्यम ... श्रीचंद्रसूरि .......... .........३३१ -मध्यम... जयकीर्तिसूरि ...३३२+३३३ शीलोपदेशमालाप्रकरण ................ .जीर्णप्राय जयकीर्तिसूरि . .....३३२+३३३ पुष्पमालाप्रकरण -मध्यम ... मलधारी हेमचंद्रसूरि ...... प्रा......... ............३३४. वेद्यकसारोद्धार सन्निपाताधिकार अपूर्ण , मध्यम ......... .....३३५ + ३३६ अश्विनीकुमारसंहितागत त्रयोदशम प्रकरण सस्तबक ..................... ...मध्यम ......... .....३३५ + ३३६ .........मू.अं.४१ समवायांगसूत्र ......... ....मध्यम ... सुधर्मास्वामी ............. ............ ३३७ ............१७६७ उपासकदशांगसूत्र . ....श्रेष्ठ ..... सुधर्मास्वामी ............ .....३३८+ ३३९ ......... .... प्रति पाणीमां भीजाएली छे सूत्रकृतांगसूत्र द्वितीयश्रुतस्कंध सस्स बक त्रिपाठ........................ मध्यम.......................... प्रा. गु ३४ .....३३८ + ३३९ ३३०/५ FFFFERE RE 23:33. Jain Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.018010
Book TitleJesalmer ke Prachin Jain Granthbhandaron ki Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year2000
Total Pages665
LanguageHindi
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size14 MB
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