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१. प्रशस्त्यन्तर्गत - आचार्यादिनाम्नामनुक्रमणिका
पद्मदेवगण वाचनाचार्य ६९
देवगुप्तसूरि ५९ देवचन्द्र ६० देवचन्द्राचार्य ५९ देव तलकोपाध्याय ७४
पद्ममन्दिरमणि ७४ पद्मराजमुनि ७२ पद्मसुन्दर ९५. पार्श्वचन्द्र ४०, ८८ पार्श्वदेवगण ७६ पुण्यराजगणि ८२ पुण्यसागर महो० ७२ प्रबोधचन्द्रगणि ६७, ६९ प्रभरि ४९ प्रभानन्द मुनीश्वर ५८ प्रमाणविजय ४० प्रमोदमाणिक्य ६१ प्रद्युम्नर ६० प्रीतिसागर ८५, ८८
देवद्धि ८४ देवभद्र ५८ देवभद्र यति ५८ देवविजय पं० ४० देवविजयगणि ४२, ५३, ५७, ६६ देवविजय वाचक ५४ देवसमुद्र ८४ देवसुन्दर ५३, ६४ देवसुन्दर गुरु ४६, ७१ देवसूरि ९५ देवाचार्य ९० देवेन्द्रसूरि ७०, ९३ ९३
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प्रेमचन्द्रगणि ५२ प्रेमविजय ५७
धनरत्नगुरु धनवर्द्धनसूरि ५९
धनविमल ४१
धनेश्वरसूरि ७५ धर्मघोषसूरि ७०, ७४,८९
भक्तिलाभ ८० भाणविजय ९२ भानुचन्द्र ७२ भानुचन्द्रगणि ५३, ७३, ९१ भावचन्द्र ९४
धर्ममुनि ६६ धर्मविजय वाचक ५४, ५७
भावचन्द्रगणि ५२ भावप्रभसूरि ८१ भाव बिजयगणि ५४, ६७
धर्मसागरजी महो० ७८ धर्मसुन्दर ९५ धर्मसूरि ९३ मन्दिमंगलगणि ७८
भाव सकल ५४
भावहर्ष ८५ भिखाजी ऋषि ९५
नन्दिरत्नगणि ८० नंदिषेणमुनि ५४ नन्दी पं० ७१ नयविजय ८२ नरचन्द्रसूरि ७२ नेमिविजयगणि ८३ नेमिचन्द्र ९० नेमिनाथ ४७
भुवनचन्द्रगणि ५२ भुवनसागर ८४ मणोज्ञचन्द्रगणि ५२ मतिसागर ५९ मतिसुन्दर ७९ मलयगिरि ६२ महिमराज ७४
न्यायसार ९३
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महिमा प्रसूरि ८१ महिमाम ८६
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