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________________ २. प्रशस्तिगत-गृहस्थादिविशेषनाम्नामनुक्रमणिका ६०.७ ६० दुर्ग ३६६ दुर्गा १९७ दुर्गादे १९७ दुर्जनशल्य ४३८ दुर्लभराज ४५१ दुलिचन्द सावसुत्या २०९ दुलीचन्द ३८४ देपा १७६ देलुल्ल ३६३ देल्हाक ७४ देल्ही ३५६ देव २५ देवकरण ३९० देवकी ६ देवचन्द ११ देवचन्द्र २८५ देवजी १६ देवजी संघवी २४७ देवतिलक पाठक १९ देवराज २५, ४२० देवश्री २९७ देवसार ४९ देवसिंह ७९, २९८ देवसिका ९७ देवसी १९७ देवाजी १४८ देविदास १२ देवी पंडित ४४६ देवेन्द्र १७९ देवसूर्य पण्डित ३२४, ३२५ द्रौपदी ३५६ धनजी ५, २३, ३६, १९९ धनंजय २८३,३७५ धनदेव २९६ धनपाल १९३ धनराज ३५६, ३५७, ४३७ धनराज मन्त्री १६६, १६९ धनश्री २९६ धनसिंह २९८, २९९ धना १७, १४० धनाई १४४, २७५ धना कायस्थ २०३ धना दोसी ३२ धनेश ३७० धनेश्वर ७३ धन्वन्तरि ३४५, ४२० धरणउ १५९ धरणिंद ३६४ धरणेन्द्र ३०० धरम ३५७ धर्म (१) १३३ धर्मसीजी २७८ धवलक्क ३४६ धीत् २०३ धीधा ३७२ धीरश्री ३५६ धीरा ३५६ नथमल ३०६ नथमल व्यास १२८ नयादेवी ४४६ नरपाल ३११ नरवदन मन्त्री १०१ नरसा कोठारी ९६ नरसिंह पण्डित २७९ नरसीह ३६६ नरहरिदास १९७, ३९८ नारायण १९७ नरेन्द्र २७४ नसीरवादी (?) २.३ नाइया ८९ नागदेव ३९, ३४०, ४३५ नागनाथ ११, ३६८, ४१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.018008
Book TitleCatalogue of Sanskrit and Prakrit Manuscripts Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1968
Total Pages364
LanguageEnglish
ClassificationCatalogue & Catalogue
File Size17 MB
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